मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद के अंतिम दर्शनों को लगा तांता

0
744

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती के अंतिम दर्शनों के लिए बृहस्पतिवार को आश्रम में बड़ी संख्या में संतों, शिष्यों व अनुयायियों का रेला उमड़ पड़ा.
राज्यपाल केके पॉल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद समेत अनेक गणमान्य लोगों ने ब्रह्मलीन संत को श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया. शुक्रवार सुबह आश्रम परिसर में ही पार्थिव देह को धार्मिक रीति रिवाजों के साथ भू-समाधि दी जाएगी. वेद व उपनिषदों के ज्ञाता रहे 86 वर्षीय स्वामी दयानंद सरस्वती का बुधवार को देहावसान हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को शीशमझाड़ी स्थित आश्रम के सभागार में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है.
बृहस्पतिवार तड़के से ही शुरू दर्शनों का क्रम रात तक अनवरत चलता रहा. इस दौरान सभागार में वैदिक मंत्रों, विष्णु सहस्रनाम, गीता आदि ग्रंथों का लगातार सस्वर पाठ जारी रहा. स्वामी के अंतिम दर्शनों के लिए राज्यपाल कृष्णकांत पॉल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, विहिप नेता अशोक सिंघल, सुप्रीम कोर्ट के जज शरद कुमार भी पहुंचे और उन्होंने पुष्प अर्पित कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया. इससे पूर्व 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्रम पहुंचकर अपने गुरु का हालचाल जाना था. आश्रम प्रबंधन के अनुसार उनके अवसान पर मोदी ने अमेरिका से ट्वीट के जरिए शोकसंदेश दिया है. ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती के दर्शनों को देश-विदेश से उनके शिष्यों व अनुयायियों को पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है.
इस अवसर पर आश्रम के वरिष्ठ संत स्वामी शुद्धानंद सरस्वती, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, आचार्य शांतात्मानंद सरस्वती, साध्वी ब्रह्मप्रकाशा नंदा, प्रबंधक गुणानंद रयाल, स्वामी दयानंद के छोटे भाई एमजी श्रीनिवासन, भतीजे डा. गोपाल, सुरेश सुब्रमण्यम राममूर्ति, स्वामी विदितात्मानंद आदि उपस्थित थे.
अध्यात्म, वेदों व उपनिषदों के ज्ञान को विश्व तक पहुंचाने के स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. उनके अवसान से भारत ही नहीं, अपितु समूचे विश्वभर में उनके लाखों अनुयायी मर्माहत हैं. निश्चित ही भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक क्षेत्र व देश के लिए यह अपूरणीय क्षति है. – कृष्णकांत पॉल, राज्यपाल
स्वामी दयानंद सरस्वती अवसान के बाद भी अध्यात्म के क्षेत्र में दैदीप्यमान नक्षत्र की तरह जगमगा रहे हैं. उत्तराखंड का सौभाग्य है कि उन्होंने इस धरती को अपनी साधना स्थली के रूप में चुना. अब उनकी भौतिक देह भी यहीं रहकर प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी. मुझे विश्वास है कि विश्वभर में अनुयायियों उनके विचारों, कायरे, रचनात्मकता से जुड़े मिशन को आगे बढ़ाएंगे. – हरीश रावत, मुख्यमंत्री

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here