शासन प्रशासन की गम्भीर लापरवाही से गोमुख यात्रा बनी बेहद जोखिमभरी,हस्तचालित ट्रॉली चलाने में अब तक दो दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु गंवा चुके हैं अपनी उंगलियां …!!!

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शासन प्रशासन की गम्भीर लापरवाही से गोमुख यात्रा बनी बेहद जोखिमभरी,हस्तचालित ट्रॉली चलाने में अब तक दो दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु गंवा चुके हैं अपनी उंगलियां …!!!

जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:

पतित पावनी माँ गंगा हमारे देश में जीवनदायनी कहलाती है,जिसके प्रति लोगों की श्रद्धा कुछ इस कदर होती है कि हर कोई श्रद्धालु एक बार उस स्थान तक पहुंचना चाहता है,जहां से गंगा का उदगम होता है। श्रद्धालु गंगोत्री धाम से 18 किमी की पैदल दूरी तय करके गौमुख तक पहुंचता है।गौमुख तक की यह यात्रा वही श्रद्धालु करता है जो उच्च हिमालयी क्षेत्र के कारण आक्सीजन की कमी और पैदल यात्रा की चुनौती के लिए शारीरिक रूप से सक्षम हो,लेकिन इस वर्ष एक नई चुनौती गौमुख यात्रा में देखने को मिली रही है।गौमुख यात्रा अब पहले जैसी नही रही है,वर्ष 2018 में मेरू ग्लेशियर के ऊपर झील फटने से गौमुख जाने वाला प्राचीन मार्ग बह चुका है,जिससे भागीरथी के बायें तरफ की बजाय भोजवासा से यात्री ट्रॉली के सहारे दांई तरफ पहुंच रहे है।यही ट्रॉली श्रद्धालुओं के लिए जोखिम भरी साबित हो रही है,दरअसल वन विभाग के द्वारा भोजवासा में तपोवन तक पहुंचने के लिए हस्तचलित ट्रॉली तो लगाई गई है,लेकिन ट्रॉली का संचालन यात्रियों के भरोसे है।

यात्रियों को इस हस्तचलित ट्रॉली को संचालित करने का कोई अनुभव नहीं है,ऐसे में यहां हर रोज किसी न किसी यात्री की अंगुली ट्रॉली की तार के बीच फंस रही है और यात्रियों को अपनी अँगुलियां गवांनी पड़ रही है। भोजवासा में रह रहे व्यापारियों ने बताया कि इस साल दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु भोजवासा में लगी ट्रॉली से अपनी अँगुलियों को गंवाकर हताश होकर लौट चुके हैं,जिसमें कुछ के हालत बहुत खराब हैं,जिन्होंने अपनी तीन से चार अंगुलियां पूरी तरह गवांई है,लेकिन शासन-प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया है,वंही भोजवासा से लौटे श्रद्धालु शैशव राणा ने बताया कि उनके सामने एक दिल्ली निवासी यात्री की तीन अंगुलियां कटी जिसे भोजवासा में कोई प्राथमिक उपचार तक नही मिला और आनन-फानन में खच्चर बुक करवाकर वह गंगोत्री लौट आया।

पूरे मामले पर वन विभाग का कहना है कि भोजवासा में लगी ट्रॉली केवल तपोवन जाने वाले ट्रैकिंग दल के लिए है,जिन्हें सुरक्षित ले जाना गाइड की जिम्मेदारी होती है। वन दरोगा राजवीर सिंह रावत का कहना है कि मेरू ग्लेश्यिर से गौमुख तक जाने वाला रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था,इसलिये गौमुख के दर्शन अभी भी बांई तरफ से करीब एक किमी दूर से ही श्रद्धालुओं को करने पड़ रहे हैं,कई श्रद्धालु अनाधिकृत रूप से भोजवासा में तपोवन जाने वाली ट्रॉली का प्रयोग गौमुख के लिए कर रहे हैं और स्वयं ट्रॉली को खींच रहे हैं इसलिए ऐसी घटनाएं सामने आ रही है।बहरहाल वन विभाग अपनी दलील दे रहा है और दूर-दूर से आये श्रद्धालु गौमुख के दर्शन दूर से करने की बजाय किसी न किसी तरह से गौमुख पहुंचने की कोशिश कर रहा है और अपना जीवन दांव पर लगा रहा है। ऐसे में शासन -प्रशासन को चाहिए कि वह गौमुख के पुराने रास्ते को तैयार करें या श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मध्यनजर ट्रॉली से हो रही जोखिमभरी यात्रा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दें।

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