पौड़ी में 125 साल पुरानी रामलीला का भव्य आयोजन!..

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पौड़ी में 125 साल पुरानी रामलीला का भव्य आयोजन!..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

पौड़ी में आयोजित होने वाली रामलीला की धूम यूनेस्को तक है,इसे विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है। यहां रामलीला का मंचन पिछले 125 सालों से निरंतर होता आ रहा है, इसकी एक बड़ी खासियत ये है कि यहां महिला पात्रों का अभिनय महिलाएं ही करती हैं और रामलीला में संगीत पक्ष बहुत मजबूत होता है,रामलीला में उत्कृष्ट कला त्मकता लाने के लिये कलाकार कई महीनों तक रिहर्सल भी करते हैं।

पौड़ी की ऐतिहासिक रामलीला की शुरुवात 1897 में कांडई गांव से हुई थी,तब गांव में ही रामलीला मंचन किया जाता था,बाद में स्थानीय लोगों के प्रयासों से पौड़ी शहर में रामलीला का मंचन शुरू किया गया। शुरुआती दौर में छीला (भीमल के पेड़ की लकड़ियां) को जलाकर रात भर रामलीला मंचन किया जाता था, 1930 में लालटेन की रोशनी में और 1960 के बाद से विद्युत बल्बों की मदद से मंचन किया गया। इस तरह पौड़ी की रामलीला में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते रहे,लेकिन यह अनवरत जारी है।अब आधुनिक लाइटिंग का प्रयोग इस रामलीला में किया जाता है पौड़ी की रामलीला की खासियत है कि यह मंचन पूरी तरह पारसी थियेटर एवं शास्त्रीय संगीत पर आधारित है।रामलीला मंचन शुरू होने से पहले कमेटी और अन्य नागरिकों की ओर से कंडोलिया देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।पहले रामलीला के पात्रों की भूमिका पुरुष पात्र ही निभाते थे, सन् 2000 से रामलीला मंचन में महिला पात्रों की भूमिका महिला कलाकार करने लगीं है।पिछले वर्ष कोविड के कारण आये व्यवधान के बाद,इस वर्ष राम की भूमिका में गौरव गैरोला, सीता की भूमिका में शालिनी सुन्द्रियाल और कई वर्षों से रावण की भूमिका में अपना जलवा बिखेर रहे जगत किशोर बड़थ्वाल अभिनय कर रहे हैं।

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