‘गुलदार कु दगड़िया’ कार्यक्रम में यूकेडी नेता आशुतोष नेगी ने राज्य सरकार और वन विभाग से पूछे तीखे सवाल..

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‘गुलदार कु दगड़िया’ कार्यक्रम में यूकेडी नेता आशुतोष नेगी ने राज्य सरकार और वन विभाग से पूछे तीखे सवाल..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
पौड़ी में गुलदार के हमलों से खुद को बचाने के लिये आयोजित चर्चित जन-जागरूकता कार्यक्रम “गुलदार कु दगड़िया” के मंच पर उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के केंद्रीय उपाध्यक्ष आशुतोष नेगी ने वन विभाग और उत्तराखंड सरकार से तीखे सवाल पूछकर सबका ध्यान आकर्षित किया। नेगी ने गुलदार (तेंदुआ) से लगातार हो रहे हमलों और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की।उन्होंने
 वन विभाग से सीधे सवाल  किये कि “क्या वाकई वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के हिसाब से गुलदार उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आज भी लुप्तप्राय प्राणी रह गया है?जबकि उत्तराखंड में हर एक किलोमीटर पर गुलदार की चहलकदमी दिख रही है और ये खासतौर पर महिलाओं,बच्चों और बुजुर्गों को अपना निवाला बना रहा है!नेगी ने कहा कि अगर गुलदार सूची एक का प्राणी है,तो उसका लगातार शिकार बन रहा इंसान फिर किस सूची का प्राणी है और क्या उसकी जान की कोई कीमत नहीं है?उन्होंने उत्तराखंड के बड़े क्षेत्र में फैल चुके चीड़ के जंगलों को कम करने के लिये सरकार और वन विभाग के पास,राज्य बनने के पच्चीस साल बाद भी कोई स्पष्ट नीति न होने पर आश्चर्य प्रकट किया। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय उपाध्यक्ष आशुतोष नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में बड़े इलाकों में फैले चीड़ के जंगलों और बढ़ते गुलदार के हमलों में समानुपाती सम्बन्ध है,अगर चीड़ के जंगलों को कम कर वहां चौड़ी पत्ती वाले और फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे,तो जंगल का फूड साइकिल बेहतर होगा और जंगल में अन्य छोटे जीव-जंतुओं के शिकार के रूप में उपलब्धता के कारण,गुलदार जंगल से बाहर आबादी क्षेत्र में कम निकलना पसंद करेगा,क्योंकि अभी मौजूद चीड़ के जंगलों में न छोटे जानवर रहना पसंद करतें हैं और न चिड़ियाएं।नेगी ने कहा ऐसा करने से पहाड़ी किसानों को बंदर,सुवर,सेही और अन्य जंगली जानवरों के आतंक से भी मुक्ति मिलेगी,जो उनकी खेती को चौपट कर पहाड़ी किसानों के मनोबल को लगातार तोड़ने का काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि चीड़ के जंगल भूतल जल संरक्षण के लिये भी अनुकूल नहीं है और जंगलों में आग लगने के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील,नेगी ने कहा कि राज्य की सत्ता में आने पर उत्तराखंड क्रांति दल वन कानूनों के संशोधनों के लिये राजनीतिक और कानूनी तरीकों से उत्तराखंड के मूल निवासियों के हित की लड़ाई को मजबूती से लड़ेगा।उक्रांद नेता ने कहा कि”वन विभाग आखिर कब तक सिर्फ कागजी योजनाओं और पोस्टर अभियान तक सीमित रहेगा,कितने और लोग अभी और गुलदार के हमलों में मारे जाएंगे?”नेगी ने गुलदार हमला पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया पर भी वन अधिकारियों को संवेदनशील रहने को कहा,उन्होंने आरोप लगाया कि गुलदार के हमलों में मारे गए लोगों या पशुधन हानि होने पर मुआवजा देने में वन विभाग टालमटोल करता है,ये बहुत ही ज्यादा असंवेदनशील रवैया है।देखना होगा उक्रांद नेता द्वारा लगाई गई क्लास का राज्य सरकार और वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर कोई असर होता है या नहीं,जिन्होंने सारी समस्याओं की जड़ वन कानूनों में संशोधन करने हेतु अभी तक शायद ही कोई प्रयास किया है।

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