आज वर्ल्ड डायबिटीज डे पर विशेष
युवा भी हो रहे हैं डायबिटीज की गिरफ्त में…
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार:
आज 14 नवंबर है | देश में वैसे तो यह तारीख चाचा नेहरू और बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है | यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि यह दिन डायबिटीज के लिए भी याद किया जाता है | आज ही ‘वर्ल्ड डायबिटीज डे’ भी है | आइए आज इसी के बारे में बात कर लिया जाए | मौजूदा समय में विश्व में तेजी से बढ़ने वाला यह रोग माना जा रहा है | पिछले दो दशक से मधुमेह यानी डायबिटीज की बीमारी देश और दुनिया में बड़ी समस्या बन गई है | पहले इसे शहरी क्षेत्रों की बीमारी मानते थे, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है | भागदौड़ भरी जीवन शैली में बिगड़ते खानपान, व्यायाम की कमी और तनाव की वजह से इसके रोगी भारत समेत विश्व भर में तेजी के साथ बढ़ रहे हैं | पिछले कुछ समय से युवा भी डायबिटीज की गिरफ्त में तेजी के साथ आते जा रहे हैं | इसके दो प्रमुख कारण माने जाते हैं-जेनेटिक, और माेडिफाइबल
फैक्टर, जेनेटिक फैक्टर बदला नहीं जा सकता है और माेडिफाइबल फैक्टर का तात्पर्य है कि जीवनशैली व खान-पान में बदलाव लाकर डायबिटीज से बचाव और राहत पाया जा सकता है |
ये होते हैं माेडिफाइबल फैक्टर–
डायबिटीज दो प्रकार की होती है | टाइप-1 और टाइप- 2 | डायबिटीज टाइप – 1 मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होती है और अधिकतर कम उम्र में होती है | जबकि सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज टाइप -2 के पीछे अनियमित जीवनशैली व गलत खानपान मुख्य वजह माना जाता है | यह मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही होती है | डायबिटीज टाइप-2
को जीवनशैली व खान-पान में बदलाव कर नियंत्रित किया जा सकता है | इसे ही माेडिफाइबल फैक्टर कहते हैं | इसके अलावा तनाव (स्ट्रेस) भी डायबिटीज होने का बहुत बड़ा कारण है | स्ट्रेस शरीर में चार तरह के स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ाता है | इसका पैंक्रियाज पर असर होता है | इससे शुगर बढ़ती है और डायबिटीज होती है |
आइए जानते हैं डायबिटीज में इंसुलिन क्या है, और कैसे बनता है—-
डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है | जिसमें इंसुलिन की कमी होती है इसकी कमी से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है | बढ़ा ग्लूकोज जब रक्त में पहुंचता है तो शरीर में कई तरह की परेशानी होने लगती है | अब आपको बताएंगे इंसुलिन क्या है | इंसुलिन पैंक्रियाज यानी (अग्नाशय) के बीटा सेल्स में बनने और निकलने वाला हार्मोन होता है | जो ग्लूकोज के स्तर को मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है कोशिकाएं ग्लूकोज का उपयोग कर ऊर्जा में बदलती हैं | कैसे बनता है इंसुलिन, यह भी जानिए | इंसुलिन व्यक्ति के शरीर में जरूरत के अनुसार बनता है | व्यक्ति के शरीर, हार्मोन दिनचर्या के आधार पर इसका निर्माण होता है | पैंक्रियाज में शरीर की जरूरत के अनुसार इंसुलिन घटता-बढ़ता रहता है |
ऐसे पता करें कि डायबिटीज है या नहीं–
शुगर की जांच दो तरह से होती है | पहला फास्टिंग सुबह नाश्ते से पहले और दूसरा पीपी यानी खाने के 2 घंटे बाद | सामान्य व्यक्ति का फास्टिंग ब्लड शुगर 70-100 एमजी-डीएल के बीच, खाने के बाद पीपी 140 से कम और एचबीए1सी, 5.7 से कम होता है | प्री डायबिटीज– फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज 100 से 125 एमजी-डीएल के बीच और खाने के बाद पीपी 140-199 तक और एचबीए1 सी 6.4 है तो खतरा बढ़ गया है | यह प्रीडायबिटीज की श्रेणी में माना जाता है | जिन लोगों का फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज ‘एफबीजी’ 125 एमजी- डीएल से अधिक और खाना खाने के बाद की जांच यानि पीपी 200 एमजी-डीएल से अधिक है | वहीं 3 महीने की जांच एचबीए1सी का लेवल 6.4 से अधिक हो जाता है तब रोगी में डायबिटीज की पुष्टि होती है |
14 नवंबर को कैसे हुई थी डायबिटीज डे मनाने की शुरुआत—-
विश्वभर में 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है | इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1991 में की गई थी | यह खास दिन डॉ. फ्रेडरिक ग्रांट बैंटिंग के जन्म दिवस पर मनाया जाता है | दरअसल फ्रेडरिक बैंटिंग ने चार्ल्स बेस्ट के साथ लगभग 100 वर्ष पहले इंसुलिन की खोज की थी | इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार आज के समय में लगभग 425 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित है |
अपनी सेहत का रखें खास ध्यान —–
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को अपनी सेहत का खास ध्यान रखना पड़ता है | हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि लंबे कद वाले पुरुषों में 41 फीसदी और महिलाओं में 33 फीसदी डायबिटीज का खतरा कम होता है | जबकि शोध की मानें तो छोटे कद वाले के लोगों के बीच डायबिटीज का खतरा ज्यादा बना रहता है |
–डायबिटीज के ये हैं लक्षण—-
1-वजन ज्यादा होने पर डायबिटीज का खतरा ज्यादा हो जाता है |
2-हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर भी व्यक्ति इस रोग के चपेट में आ सकता है |
3-शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर भी डायबिटीज का खतरा बना रहता हैं |
4-प्रेग्नेंसी के समय मां को डायबिटीज हो तो भविष्य में बच्चे को भी डायबिटीज हो सकता है |
5-दिल का रोग या 40 साल से ज्यादा उम्र होने और लाइफ स्टाइल ठीक नहीं होने पर भी डायबिटीज का खतरा बना रहता है |
–डायबिटीज से बचने के ये हैं उपाय—-
1-नशा करने से बचें-सिगरेट और शराब की लत कैंसर, डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकती है |
2-मोटापा जरूरत से ज्यादा मोटापा डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देता है | इससे बचने के लिए हेल्दी और सेहतमंद चीजें खाइए |
3-दिनभर सिर्फ आराम ही न करें, दिनभर आराम करने और अनहेल्दी डाइट का सेवन करने से भी डायबिटीज हो सकती है | इससे बचने के लिए रोजाना व्यायाम करते हुए हेल्दी डाइट को रुटीन में शामिल करें |
4— सबसे महत्वपूर्ण यह भी है कि डायबिटीज के प्रति हर दिन जागरूक रहें और इसको अपने ऊपर हावी न होने दें |
5– समय-समय पर शरीर की जांच और डॉक्टर से परामर्श लेते रहें | साथ ही दवाइयों के चयन पर भी गंभीर रहें |