“व्यंग्य”
विशेष प्रजाति को सक्रिय करने वाला मौसम चक्र..
डॉ कपिल देव पंवार
असिस्टेंट प्रोफेसर,हे0न0ब0 गढ़वाल विश्वविद्यालय
श्रीनगर गढ़वाल
यूं तो हमारे देश के लोगों में प्रतिभा की कमी नही है,लेकिन देश की बढ़ती आबादी के बीच प्रतिभाओं के साथ साल-दर-साल एक विशेष प्रजाति के लोगों की तादात में लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है। 21वीं सदी में सब कुछ बदल रहा है,देश की सामाजिक, राजनीतिक,आर्थिक,तकनीकी व्यवस्थाएं सब बदल रही है। बढ़ती आबादी के बीच मौसम चक्र भी बदल रहा है और मौसम के अनुसार लोग भी बदल रहे हैं! ऐसे ही एक नये मौसम की पहचान अभी-अभी की गयी है, जिसमें एक विशेष प्रजाति के लोग अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं।कुछ समय से हमारे देश में एक विशेष प्रजाति के लोगों का मौसम चक्र आता है।आमतौर पर यह मौसम चक्र दो-तीन साल में आता है,जब विशेष प्रजाति के लोगों की तादात में बढ़ोत्तरी का समय होता है और इस दौरान यह प्रजाति बेहद सक्रिय हो जाती है।इस प्रजाति में कई गुणों वाले लोग होते हैं,जिनमें इस मौसम के आते ही भारी बदलाव दिखायी देते हैं। जैसे इस प्रजाति के कुछ लोग, जो साल भर तक अपने काम के प्रति गम्भीर नहीं हुये,वह सुबह से शाम तक जोड़-तोड़ की गणित में गम्भीर मुद्रा में दिखाई देते हैं,मानो लगता है कि जैसे देश की अर्थव्यवस्था वही संभाल रहे हों! कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्होंने कभी अपने परिवार की जिम्मेदारियों को नहीं उठाया, लेकिन वह अपने हुक्मरानों की जिम्मेदारी के प्रति बेहद संजीदा दिखाई देते हैं।कुछ अपने दिन फिरने की चाह में झण्डे-डण्डे के बोझ में दबे-पड़े हैं। साफ देखा जा सकता है कि इस मौसम चक्र के आते ही इस प्रजाति के लोगों की दिनचर्या व्यवस्थित हो जाती है।इस प्रजाति के लोग आमतौर पर चिंतामुक्त होते हैं,लेकिन इस मौसमचक्र के आते ही ये सुबह उठते ही चिंतित दिखाई देते हैं। इस मौसम में वे अपने निकम्मेपन को दूर करने का पूरा प्रयास करते हैं।बड़ा गजब का मौसम चक्र होता है ये,जिसे चुनावी मौसम चक्र कहते हैं।