“आदमी” के बाद अब “बकरियाँ” होंगी क्वारंटाइन!
जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:
पौड़ी जनपद के चौबट्टाखाल विधानसभा के अन्तर्गत पोखड़ा ब्लॉक के कोलागाड-गडरी हेमलेट के आधा दर्जन गाँवों धामीधार, छनिया, बरसुंड, किमगड़ी आदि गाँवों में पिछले कई दिनों से बकरियों की एक संक्रामक बीमारी फैली हुई है,जिसके कारण अब तक लगभग अस्सी बकरियां मारी जा चुकी है,सूचना मिलने पर पशुपालन विभाग की टीम पोखड़ा ब्लॉक के इन गाँवों समेत इलाके के अन्य गाँवों में बीमारी के इलाज़ और रोकथाम के लिये दवा/वैक्सीनेशन के काम में जुटी हुयी है,जानकारी प्राप्त हुयी है कि जलागम विभाग ने इस इलाक़े के काश्तकारों को प्रदेश से बाहर से बकरियाँ मंगा कर बंटवायी थी,इन बकरियों में वायरस संक्रमण होने से यह बीमारी स्थानीय बकरियों में भी फैल गयी है,प्रदेश के पर्यटन मंत्री और चौबट्टाखाल के विधायक सतपाल महाराज ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए आज पौड़ी मुख्यालय में अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस बीमारी पर जल्दी काबू पाने का प्रयास किया जाए और संभव हो तो बाहर से आयी इन बकरियों को आइसोलेशन या स्थानीय बकरियों से अलग क्वारंटाइन किया जाये,जिससे बीमारी स्थानीय बकरियों में न फैले! क्योंकि इसी तरह से इस बीमारी के रुद्रप्रयाग जनपद में भी फैलने की सूचना मिल रही है,महाराज ने बताया कि उन्होंने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुये पशुपालन मन्त्री रेखा आर्य से भी बकरियों के इलाज़ और बकरी पालक गरीब काश्तकारों को मुआवजा दिलवाने के सम्बन्ध में अनुरोध किया है,उधर जनपद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एस.के.सिंह बर्तवाल ने “जागो उत्तराखण्ड” को बताया है कि उनकी टीम लगातार इस क्षेत्र में वैक्सीनेशन और इलाज के काम में जुटी हुयी है और अब बीमारी पर काफ़ी हद तक काबू पाया जा चुका है,जलागम विभाग द्वारा इलाके में बाँटी गयी बकरियों को चिन्हित कर उन्हें स्थानीय बकरियों से अलग कर आइसोलेशन या क्वारंटाइन करने का प्रयास किया जा रहा है और ग्रामीण पशुपालकों को चेताया जा रहा कि वे इन बकरियों को दूसरे गाँवों में न बेंचें! जिससे कोरोना संकट से वैसे ही आर्थिक संकट जूझ रहे पशुपालकों को और ज्यादा पशुधन हानि ना हो,बस आदमी के लिये राहत की बात यह है कि “पीपीआर” नाम की यह संक्रामक बीमारी बकरियों से बकरियों में ही फैलती है अन्य जानवरो या इंसानों में नहीं!