हरिद्वार । देश के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है। यही वह दिन था जब देश का विभाजन हुआ और 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान तथा 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक पृथक राष्ट्र घोषित कर दिया गया। इस विभाजन में न केवल भारतीय उप-महाद्वीप के दो टुकड़े किये गये बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया, जो 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश बना। कहने को तो यह एक देश का बंटवारा था, लेकिन दरअसल यह दिलों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था। गुरूकुल कांगडी वि0वि0 के असिस्टेंट प्रोफेसर, डाॅ0 शिवकुमार चैहान बताते है कि भारत मां के सीने पर बंटवारे का यह जख्म आने वाली सदियों तक रिसता रहेगा।
बटवारे के बाद का दर्द आज भी भारत की नाडियों में आतंकवाद के रूप में दौड रहा है। पाकिस्तान की धरती पर पनप रहे आतंकवाद के कारण एक ओर आर्थिक रूप से पिछड रहा है, वही उसके वैश्विक पटल पर अन्य देशों के साथ भी रिश्ते बिगडते जा रहे है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की धरती पर जिहाद जैसे कटरपंथी आन्दोलनों के कारण वहां की जनता भी दुखी है। लेकिन अपने दुख से दुखी न होकर वह भारत की बढती प्रतिष्ठा एवं सैन्य बल के प्रभाव एवं विश्व पटल पर भारत के एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरने के कारण वह तिलमिला रहा है। शायद उसे यह याद नही है कि आतंकवाद के बल पर वह बहुत समय तक अपनी दादागिरी नही दिखा सकता है। आज हम जहां भारत की आजादी की 74 वी वर्षगांठ मनाने जा रहे है वही बटवारे की वह काली रात आज भी एक भयानक सच बनकर भारत के विकास मे बांधा बनने का काम कर रही है।