जागो रे उत्तणतण्ड सरकार! रजधानी ग़ैरसैंण के खूबसूरत बेनीताल बुग्याल पर हुआ निजी कब्ज़ा!..
भास्कर द्विवेदी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
उत्तराखण्ड राज्य में हिमाचल प्रदेश जैसा मजबूत भू-कानून न होने का नतीजा धीरे-धीरे हमारे राज्य के ख़ूबसूरत पर्यटक स्थलों पर रसूखदारों के कब्जे के रूप में कोड़ का रूप ले रहा है!ताजा मामला बेनीताल का है,चमोली जनपद में उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी ग़ैरसैंण से लगे इस अप्रतिम सुन्दरता से ओतप्रोत ताल और बुग्याल क्षेत्र पर अब किसी रसूखदार व्यक्ति का कब्जा हो गया है!जिसके साक्ष्य यहां लगे साईन बोर्ड दर्शा रहे हैं!ऐसा नहीं कि ये मामला किसी राजनीतिक दल या जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में नहीं है,फिर भी इन सबकी चुप्पी बहुत बड़ा सवाल पैदा कर रही है,कब्जाधारी इतने बुलंद हैँ कि उन्होंने सरकारी सड़क तक को खोदकर बुग्याल में आगे जाने का रास्ता बंद कर दिया है,जिस ताल और बुग्याल को उत्तराखण्ड सरकार के वन विभाग अथवा पर्यटन विभाग अथवा वहाँ की ग्राम पंचायत की सम्पत्ति होनी चाहिए थी,वह निजी हाथों में कैसे चली गई है?यह गंभीर जाँच और कार्यवाही का विषय है,बेनीताल को बचाने के लिए बेनीताल संघर्ष समिति गठित भी है,परंतु वह सब निराश से दिखे,समिति के अध्यक्ष मगन सिंह जी ने बताया कि कर्णप्रयाग विधानसभा के पूर्व विधायक स्व0 डॉ अनसुया प्रसाद मैखुरी जी और वर्तमान विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी दोनों के संज्ञान में विषय भलीभांति रहा था,दोनों की ही बेनीताल संघर्ष समिति के कार्यक्रम में भागीदारी भी रही थी और उनके द्वारा आश्वासन भी दिए गए, परंतु बेनीताल -बुग्याल का निजी सम्पत्ति का दावा करने पर सभी की गंभीर चुप्पी संदेहास्पद स्थिति को जन्म दे रही है, सैनिक शिरोमणि मनोज ध्यानी दी मैन आफ मूवमेंट स्वामी मुकुंद कृष्ण दास जी ने इस जगह का धरातलीय निरीक्षण किया और सरकार को चेताया कि यदि जल्द ही इस संबंध में कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे इस प्रकरण पर आगे की कार्रवाई हेतु स्वतंत्र रहेंगे !”जागो उत्तराखंड” नवनियुक्त मुख़्यमन्त्री उत्तराखंड सरकार से निवेदन करता है कि अविलंब मामले का संज्ञान लेते हुए दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करें।