क्या हैं कोदे/मंडुये के आटे को भोजन में उपयोग करने के फायदे?:डॉ कुसुम भट्ट,पहाड़ी संस्कृति और उत्पाद विशेषज्ञ..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
“जागो उत्तराखण्ड” का प्रयास है कि वो उत्तराखण्ड के चहुँमुखी विकास में अपना योगदान करें,हमारा दृढ़ विश्वास है कि उत्तराखण्ड के जैविक पहाड़ी उत्पाद अपनी स्वास्थ्य के लिये गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधकता की वजह से जन-सामान्य के भोजन का हिस्सा बनना चाहिये,जिससे हमारा शरीर मजबूत हो और हम कोरोना महामारी तथा अन्य प्रकार की बीमारियों से डट कर मुकाबला कर सकें,ऐसा करके हम पहाड़ी काश्तकारों को इन उत्पादों की पैदावार बढ़ाकर उनको आर्थिक रूप से मजबूत करने में भी सहयोग करेंगे!
हमारी पहाड़ी संस्कृति और उत्पाद विशेषज्ञ डॉ कुसुम भट्ट आज आपको महत्वपूर्ण जानकारी दे रही हैं,कोदे या मंडुये के आटे को भोजन में उपयोग करने के लाभों के बारे में,जानकारी हासिल करें और बेहतर स्वास्थ्य की ओर अपने मजबूत कदम आगे बढ़ाएं..मंडुवे का आटा अपने आप में एक पौष्टिक आहार है,उत्तराखण्ड में मुख्यता यह मोटा अनाज के रूप में जाना जाता है,अपनी पौष्टिकता व गुणवत्ता के कारण इसे पुराने समय से पारम्परिक भोज्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।साधारण भाषा में इसे मंडवा या कवादू नाम से जाना जाता है,वहीं अन्य प्रदेशों में इसे रागी,फिंगर मिलेट व गुजरात में से नाचनी नाम से भी जाना जाता है,अपने विभिन्न गुणों व पोषक तत्वों के कारण आज के समय में यह अनाज गेहूँ से भी महंगा हो गया है और काफ़ी अधिक मात्रा में भोजन में प्रयोग किया जाता है।कर्नाटक और दक्षिण भारत के कई राज्यों में यह काफी प्रचलन में है तथा इसकी जबरदस्त खेती होती है और वहां इसके तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं।अगर हम पहाड़ों की बात करें तो यह गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र दोनों में खाए जाने वाला मुख्य पारम्परिक खाद्य है, गढ़वाल और कुमाऊं दोनों में ही इसकी खेती की जाती है,यहां पर यह हरे नमक व चटनी या घी और गुड़ के साथ रोटी बनाकर बड़े चाव से खाया जाता है,इसकी तासीर गर्म होती है,यह आयरन और फास्फोरस का मुख्य स्रोत है वह बच्चों के दिमाग के विकास को बढ़ाने में बहुत सहायक सिद्ध होता है,दक्षिण भारत में इसके बीजों को अंकुरित कर उसका पौष्टिक दलिया भी बच्चों को खिलाया जाता है,इसमें 71 % कार्बोहाइड्रेट 12% प्रोटीन 5% बसा पाया जाता है,यह विभिन्न रोगों को दूर करने में बहुत सहायक व कारगर साबित होता है,साथ ही मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। इसके अलावा एनीमिया,हड्डियों की मजबूती,दिमाग को तेज करने के लिए,त्वचा के लिए और वजन को कम करने के लिए भी यह बहुत सहायक सिद्ध होता है। इसमें कुछ फाइबर भी पाया जाता है,जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती है।जहां इस अनाज को खाने के बहुत सारे फायदे हैं तो थोड़े बहुत नुकसान भी देखने को मिलते हैं,जैसे गुर्दे की पथरी और यूरिनरी कैलकुली वाले रोगियों को इसे खाने की सलाह नहीं दी जाती,उन लोगों को डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इसे खाना चाहिए।आजकल मंडुये के बिस्किट,डोसा व तरह-तरह के व्यंजन मार्केट में देखने को मिल रहे हैं,बच्चों के लिए यह बहुत ही पौष्टिक है,उन्हें किसी न किसी रूप में इन्हें जरूर दिया जाना चाहिये।उत्तराखंड में उगाए जाने वाले के अनाज पूर्णता जैविक होते हैं,इनमें किसी भी तरह के यूरिया और रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता,केवल गोबर/जैविक खाद का ही उपयोग इनकी खेती में किया जाता है,जो शरीर के लिए हानिकारक नहीं होती।मंडुवे का आटा शरीर को बाह्य रोगों से लड़ने में मजबूती प्रदान करता है। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए जरूर कारगर सिद्ध हुआ होगा फिर मिलते हैं जल्द अगली जानकारी के साथ..ये पहाड़ी उत्पाद आपको हमारे सर्किट हॉउस के नज़दीक स्थित “जागो उत्तराखण्ड पहाड़ी स्टोर” से भी आपको उपलब्ध हो जाएंगे।
काल करें:👉
7830677767/9718060367/9639514135