क्या नजरअन्दाजी से नाख़ुश प्रीतम गुट हो सकता है भाजपा में शामिल?
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
उत्तराखण्ड काँग्रेस में एक बार फिर बगावत के सुर मुखर होने लगे है। आलाकमान के करण माहरा को प्रदेश अध्यक्ष और यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर काँग्रेस कार्यकर्ताओं में रोष देखने को मिल रहा है। हाईकमान के फैसले से पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समर्थकों में नाराजगी है।कार्यकर्ताओं ने गढ़वाल मंडल की घोर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए जिला कार्यकारिणी के समस्त पदाधिकारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को एक साथ 70 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने त्याग पत्र दे दिया है।मीडिया रिपोर्टस के अनुसार काँग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष पद पर करण महारा,नेता प्रतिपक्ष पर यशपाल आर्य व उपनेता प्रतिपक्ष पर भुवन कापड़ी की नियुक्ति की गई है,जिसे लेकर अब काँग्रेस में भयंकर सिर फुटव्वल हो रहा है। इन बदलावों में गढ़वाल की जँहा पूरी तरह से पार्टी ने उपेक्षा की है तो कुमाऊं के हिस्से सारे अहम पद आये है। ऐसे में सोशल मीडिया में भी इसे लेकर बहस तेज हो गयी है।लोगों ने इसे लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। पार्टी में क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से इस गणित पर हर कोई सवाल उठा रहा है।
गौरतलब है कि प्रीतम सिंह का खेमा यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, करण माहरा को तवज्जो देने से ही भड़क उठा है। एक साथ इतने लोगों के इस्तीफों ने प्रीतम खेमे की नाराजगी पर मुहर भी लगा दी। इसके ठीक बाद अप्रत्याशित रूप से प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात करके कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है हालांकि इस मुलाकात के बारे में प्रीतम और मुख्यमंत्री दोनों के करीबी लोगों का कहना है कि चर्चा राज्य के विकास और बेहतरी को लेकर हुई। लेकिन मुलाकात जिस हालात में हुई उसको लेकर सियासी पंडितों का मानना है कि पार्टी में अपनी रुसवाई से क्षुब्ध प्रीतम अपने और अपनों के लिए सियासी विकल्प तलाश रहे हैं और वह विकल्प भाजपा ही हो सकती है।