कुम्भ 2022 की तैयारियों के तहत बनाये जा रहे NH-74 के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता कर करोङो के घोटाले का अंदेशा!..
जागो उत्तराखण्ड एक्सक्लूसिव:
उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे बिजनौर जिले के नगीना से लेकर उत्तराखण्ड के हरिद्वार में चंडीपुल तक एनएच-74 के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता कर बड़े घोटाले का अंदेशा है,उत्तराखण्ड के अंदर 70 किलोमीटर के इस स्ट्रेच का निर्माण मैसर्स पवन कुमार कंपनी कर रही है,कम्पनी द्वारा आजकल सड़क में जीएसबी, डीएलसी और पीक्यूसी को बिछाने का काम किया जा रहा है,कम्पनी में पूर्व में काम कर रहे अभियंता मलयज दीक्षित ने एनएच-74 के निर्माण के मौके पर ही हाईवे निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने के स्पष्ठ प्रमाण दिए हैं! कि किस तरह इस सड़क की पेंटिंग को बिछाने में जीएसबी और डीएलसी लेयर्स को बिछाने में ही करीब 20 एमएम की गड़बड़ी की जा रही है,अभियन्ता का आरोप है कि मानक के अनुसार इन लेयर्स की मोटाई लगभग डेढ़ सौ मिलीमीटर होनी चाहिये,जिससे कि मजबूत सड़क का निर्माण हो सके और इस पर चलने वाले हेवी ट्रेफिक को यह सड़क बर्दाश्त कर सके,अभियन्ता ने मौके पर जाकर सड़क निर्माण कर रही कम्पनी मैसर्स पवन कुमार पर सिक्योरिटी अरेंजमेंट में भी लापरवाही बरतकर एनएच-74 पर चलने वाले ट्रैफिक के ड्राइवर्स और पैसेंजर्स की जान से भी समझौता किये जाने का आरोप लगाया है,अभियन्ता के ये भी आरोप हैं कि मैसर्स पवन कुमार कम्पनी के पास न तो लेबर लाइसेंस है,न कॉन्टैक्टर्स आल रिस्क(कार)पालिसी और न कंपनी जो इक्विपमेंट्स और वाहन इस्तेमाल कर रही हैं वे पूरी तरीके से फिट हैं,कम्पनी स्थानीय प्रशासन को मोटा पैसा खिलाकर दिन की रोशनी में ही भ्रष्टाचार का ये खुला खेल,खेल रही है,जब इन आरोपों के बावत “जागो उत्तराखण्ड” ने कम्पनी के जीएम गौरव चौहान से कम्पनी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो वे अभियन्ता मलयज दीक्षित के आरोपों को गलत बताते हुये इसे नौकरी से निकालने की झुँझलाहट बताने लगे,अलबत्ता कम्पनी के पास लेबर लाइसेंस न होने की बात तो सवाल-जबाब में स्पष्ठ हो गयी है अब अभियन्ता मलयज दीक्षित द्वारा दिये गये भ्रष्टाचार के स्थलीय प्रमाण सहित आरोपों की भी ईमानदारी से जाँच बेहद आवश्यक है,”जागो उत्तराखण्ड” सरकार, प्रशासन और देश की जिम्मेदार संस्थाओं से अभियन्ता मलयज दीक्षित की सुरक्षा की भी ज़िम्मेदारी लेने की अपील करता है,क्योंकि हमारे देश में सच बोलने वालों की जान लेकर उनकी जुबाँ बन्द करने के उदाहरणों की भी कोई कमी नहीं है।