पेयजल को स्वच्छ किये बिना कैसे पूरा होगा स्वच्छ भारत और आयुष्मान-आरोग्य होने का सपना!..

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पेयजल को स्वच्छ किये बिना कैसे पूरा होगा स्वच्छ भारत और आयुष्मान-आरोग्य होने का सपना!..

भाष्कर द्विवेदी जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

वीडियो संदेश को ध्यान से देखिए और मनन करें कि वर्तमान परिवेश में कोरोनावायरस जैसी महामारी से निपटने के बाद भी हम कैसे सुरक्षित रहें और अपनों को भी सुरक्षित रखें,शुद्ध और साफ जल का मतलब है कि वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अशुद्धियों और रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं से मुक्त होना चाहिये,अशुद्ध जल हमारे जीवन के साथ पूरे पर्यावरण और धरती पर मौजूद सभी चराचर जगत के लिए हानिकारक है,अगर स्वास्थ्यप्रद स्थितियां या बेहतर स्वस्थ माहौल की बात की जाए तो इसमें निजी साफ-सफाई से लेकर आसपास का साफ-सुथरा माहौल भी शामिल होता है,यूं भी पानी से जुड़ी बीमारियों या प्रदूषित पानी, खराब स्वास्थ्य और गरीबी का एक खास दायरा गंदे पानी और साफ-सफाई की खराब स्थितियों की वजह से सामने आता है,साफ-सफाई का ध्यान न रखने से पानी प्रदूषित होता है,प्रदूषित पानी,यानी जिसमें गंदगी की वजह से सूक्ष्म जीव पैदा होने लगते हैं,दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोग प्रदूषित पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं,जल-जनित बीमारियों और खराब स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध गंदे पानी,सफाई का अभाव और अस्वस्थकर स्थितियों से है,गंदे पानी और गंदगी से डायरिया, टाइफाइड,पैराटाइफाइड, बुखार, हेपेटाइटिस ए,हेपेटाइटिस ई और एफ, फ्लूरोसिस,आर्सेनिक जनित बीमारी जैसी बीमारियां होती हैं। कुछ दूसरी बीमारियां हैं:- लेजिनोलिसिस, मेथमोग्लोबीनेमिया,सिन्टो- सोमिएसिस, आंत का संक्रमण, डेंगू,मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस, वेस्टनील वायरस संक्रमण, येलो फीवर और इम्पेटिगो यानी त्वचा से संबंधित बीमारी भी हो सकती है।दुनिया भर में डायरिया से 1,085,000 से लेकर 2,187,000 मौतें हो जाती हैं,यह मौतें गंदे पानी, खराब सफाई व्यवस्था और दूषित पानी के कारण हो जाती हैं,डायरिया से मरने वाले 90 फीसदी पाँच साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं,शौच-गृह के इस्तेमाल या बच्चों का मल-मूत्र साफ करने के बाद हाथ धोने और भोजन से पहले हाथों की अच्छी तरह सफाई डायरिया को 33 प्रतिशत कम कर देती है,सफाई का अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य पूरा करने के लिए हर साल 14 करोड़ लोगों को बेहतर सफाई व्यवस्था मुहैया करानी होगी,1990 और 2002 तक सिर्फ साढ़ेआठ करोड़ लोगों को ही बेहतर सफाई व्यवस्था मुहैया थी,सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने यह एक बड़ी चुनौती है।

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