रियल स्टेट कारोबारी के आगे नतमस्तक सीएम त्रिवेन्द्र भूले अपने घर का भी हित:सिंगटाली पुल प्रोजेक्ट की करवा दी हत्या..

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रियल स्टेट कारोबारी के आगे नतमस्तक सीएम त्रिवेन्द्र भूले अपने घर का भी हित:सिंगटाली पुल प्रोजेक्ट की करवा दी हत्या..

जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:

डबल इंजन वाली भाजपा सरकार के मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत किस तरह से रियल स्टेट कारोबारी के आगे नतमस्तक हैं, उसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है,दरअसल ऋषिकेश-देवप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर व्यासी के निकट सिंगटाली नाम की जगह से एक पुल,जिसने टिहरी और पौड़ी जनपद को जोड़ना था,उसका निर्माण तयशुदा स्थान से तीन किलोमीटर आगे एक रियल स्टेट कारोबारी की नाजायज़ ख्वाइश को पूरा करने के लिये शिफ्ट कर दिया गया है,जहां पर पुल का नया प्रस्तावित स्थान है वँहा पर फ्रैक्चरड रॉक है और संभवत वहां पर फुल के लिए भूगर्भीय रिपोर्ट यह कह दे कि यह जगह पुल निर्माण के अनुकूल नहीं है,ऐसे में अब इस पुल का निर्माण संभव नहीं लगता,जबकि पूर्व निर्धारित स्थान पर पुल निर्माण की डीपीआर,भूगर्भीय रिपोर्ट समेत पुल निर्माण हेतु सभी आवश्यकताएं पूर्ण थी और वर्ल्ड बैंक ने पुल निर्माण के लिये पैसा भी स्वीकृत व अवमुक्त भी कर दिया गया था और अब पुल निर्माण के लिये सिर्फ टेंडर प्रक्रिया होनी बाक़ी थी,लेकिन पिछले दिनों चार जनवरी को अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग के कक्ष में आयोजित बैठक जिसमें “द सवारा फाउन्डेशन ऑफ आर्ट्स” नई दिल्ली, जिसकी पुल निर्माण स्थल के निकट कुछ जमीन है और जो नहीं चाहता कि इस स्थान पर पुल निर्माण होने से आवाजाही बढ़े,ने यंहा पर म्यूजियम निर्माण को लेकर एक तथाकथित “प्रेजेंटेशन”दिया और प्रस्तावित सिंगटाली पुल को प्रस्तावित स्थान से शिफ्ट करा दिया गया या यूँ कहें कि एक रियल स्टेट कारोबारी को लाभ देने के लिये गढ़वाल क्षेत्र की बड़ी आबादी को पुल बनने से होने वाले तमाम सामरिक,आर्थिक और सामाजिक लाभों से वंचित कर दिया गया,पुल के निर्माण से गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी, व्यास घाट-देवप्रयाग होते हुये ऋषिकेश से सीधा कनेक्ट हो जाता और मोटर मार्ग की दूरी भी काफ़ी कम हो जाती,साथ ही मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र नयारघाटी,उनका गाँव खैरासैंण-सतपुली भी ऋषिकेश से बहुत ही नजदीक हो जाता,लेकिन कल बीस मार्च को मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा “द सवारा फाउन्डेशन ऑफ आर्ट्स” नई दिल्ली द्वारा “मातृ आश्रय-ए कलेक्शन म्यूजियम” नाम के तथाकथित म्यूजियम का उद्घाटन कर सारी साजिश की ख़ुद उनके द्वारा ही पुष्टि भी कर दी गयी है,कार्यक्रम को धार्मिक रंग देने के लिये एक तथाकथित महामंडलेश्वर भी कार्यक्रम में मौजूद थे,सनद रहे लोक निर्माण विभाग मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र ने अपने पास ही रखा है ऐसे में सारे घटनाक्रम को त्रिवेन्द्र द्वारा रियल स्टेट कारोबारी के हाथों में खेलते हुये अपने ही लोगों से ऐतिहासिक छल करने की संज्ञा दी जाय,तो कुछ गलत न होगा, मुख्यमन्त्री के म्यूजियम के उद्घाटन का विरोध कर रहे उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के केन्द्रीय प्रवक्ता पीसी थपलियाल प्रदेश प्रवक्ता शान्ति प्रसाद भट्ट,समेत पूर्व आईएस गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती समेत उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के दर्जनों कार्यकर्ताओं को कल सिंगटाली पास पुलिस ने गिरफ्तार कर थाना मुनि की रेती के अंतर्गत व्यासी पुलिस चौकी में दिनभर कैद रखा और बाद में कार्यक्रम समाप्त होने पर छोड़ दिया,साफ़ समझा जा सकता है कि मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तराखण्ड सरकार केवल एक रियल स्टेट व्यवसायी को लाभ देने के लिए प्रदेश के गढ़वाल क्षेत्र की बड़ी आबादी के हित की तिलांजलि दे रही है और यहां तक कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने गृह क्षेत्र के भले को भी विस्मृत कर चुके हैं!अगर इस स्थान पर कोई सरकारी निर्माण हो रहा होता,तो उसके लिए निजि भूमि का अधिग्रहण कर स्थानीय हक़-हकूकधारी के हितों की बलि ले ली जाती है,लेकिन यहां पर तो एक रियल स्टेट व्यवसायी के लिए पूरे गढ़वाल क्षेत्र के भले की बलि ले ली गई है,अगर सिंगटाली का पुल अपनी मूल स्थान पर बन जाता तो इससे यमकेश्वर और ढांगू पट्टी के ढाई सौ से ज्यादा गांवों को भी लाभ मिलता और संपूर्ण नयार घाटी समेत पौड़ी,जो गढ़वाल मंडल का मुख्यालय है सबसे ज्यादा लाभान्वित होता,क्योंकि तब ऋषिकेश से पौड़ी और सतपुली और यहां तक कि उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण समेत कुमाँऊ मण्डल भी काफ़ी नजदीक हो जाता, पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण व्यास गुफा भी इसी मार्ग पर व्यासघाट के पास स्थित है,जहां पर महर्षि वेदव्यास द्वारा महाभारत की रचना की गयी थी,ऐसे में उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक बद्रीनाथ-केदारनाथ जाते हुये यँहा से गुजरते और निश्चित तौर पर व्यास गुफा उत्तराखण्ड के एक प्रसिद्ध धाम के रूप में विकसित हो जाती,पलायन की मार झेल रहा पौड़ी जनपद और गढ़वाल का इलाका विकसित होता व यहां के स्थानीय लोगों को पर्यटन के माध्यम से रोजगार भी मिलता और पौड़ी जनपद समेत गढ़वाल के टिहरी,उत्तरकाशी,चमोली,रुद्रप्रयाग सभी जनपद आपस मे बेहतर रोड कनेक्टिविटी से जुड़ जाते,नदी के आर-पार के दोनों इलाकों के बेहतर तरीके से आपस में जुड़ने से सम्पूर्ण गढ़वाल क्षेत्र का विकास होता! लेकिन क्या वजह थी कि उत्तराखण्ड सरकार और उसके मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत एक दिल्ली के रियल स्टेट कारोबारी के आगे नतमस्तक हो गये?वह भी ऐसे समय जबकि कोरोना वायरस के कारण जनहानि होने की संभावना को खत्म या कम करने के लिऐ पूरे देश में प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा कल बाईस मार्च को जनता कर्फ्यू आयोजित किया गया है,जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है,ऐसे में मुख्यमंत्री स्वयं एक रियल स्टेट कारोबारी की भूमि पर बन रहे म्यूजियम का उद्घाटन पर बड़ी भीड़ इकट्ठा कर पूरी व्यवस्था का ही मखौल उड़ा रहे हैं,साफ़ ज़ाहिर है कि व्यक्तिगत हित के लिये मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र द्वारा मनुष्य के सभी हितों की बलि ली जा रही है,जिसे इतिहास एक स्वार्थी मुख्यमन्त्री द्वारा शर्मनाक,राज्य-देश द्रोह की घटना के रूप में दर्ज करेगा।

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