बकरीद को लेकर दारुल उलूम का फतवा-घरों में पढ़े नमाज ओर दूसरे लोगों की भावनाओं का रखें ख्याल

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आसिफ हसन की रिपोर्ट-

बकराईद को लेकर दारुल उलूम ने की लोगों से अपील..
कोविड-19 के चलते सरकार की गाइडलाइंस का करें पालन
एक शख्‍स ने सवाल पर दारुल उलूम का जवाब
कि क्‍या कुर्बानी के पैसे गरीबों को दी जा सकती है?
इस्‍लामिक शिक्षण संस्‍था की तरफ से उसी को लेकर फतवा जारी किया गया।
सहारनपुर. इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद से एक शख्स ने बकरीद के मौके पर फतवा मांगते हुए पूछा कि क्या हम जिस पैसे से कुर्बानी करते हैं उन पैसों को गरीबों में दे सकते हैं? ऐसे में क्‍या हमारी कुर्बानी मानी जाएगी?

इसके जवाब में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा देते हुए कहा कि कुर्बानी के पैसे से कुर्बानी ही जायज है. कुर्बानी के पैसों को किसी गरीब या मजबूर को देने से कुर्बानी नहीं मानी जाएगी. जिस तरीके से नमाज के बदले जकात,

जकात के बदले रोजा और रोजा के बदले हज नहीं हो सकता, ठीक इसी तरीके से कुर्बानी के पैसे किसी को देने से कुर्बानी नहीं होगी. इसलिए जिस पर कुर्बानी वाजिब है, उसे तो हर हाल में कुर्बानी करनी ही करनी है.

प्रवक्‍ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि कुर्बानी एक मुस्तकिल इबादत है. एक इबादत दूसरी इबादत का बदला नहीं हो सकती. जैसे नमाज की जगह जकात नहीं हो सकती, जकात की जगह रोजा नहीं हो सकता, रोजे की जगह हज नहीं हो सकता. इसी तरीके से कुर्बानी भी मुस्तकिल एक अलग इबादत है और इसकी जगह किसी दूसरी इबादत को जगह नहीं दी जा सकती. कुर्बानी के पैसे को सदके में देना गलत है.

दारुल उलूम देवबंद की अपील कुर्बानी जरूर करें लेकिन दूसरे लोगों की भावनाओं का ख्याल रखें!

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच आ रहे मुस्लिमों के दूसरे बड़े त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) को लेकर इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने गाइडलाइन जारी की है। जिसमें मुसलमानों से सरकार और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन पर अमल करने तथा दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए कुर्बानी करने का आह्वान किया है।

रविवार को दारुल उलूम के नायब मोहतमिम अब्दुल खालिक मद्रासी की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा कि कुर्बानी अल्लाह की एक अहम इबादत है जिसका कोई बदल नहीं है। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि कुर्बानी की इबादत को पूरे अहतमाम के साथ अंजाम दें, क्योंकि अल्लाह ने हर हैसियत रखने वाले पर कुर्बानी को वाजिब किया है

इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कुर्बानी करते वक्त दूसरे लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इसका खास ख्याल रखा जाए। साथ ही शासन प्रशासन ने जहां ईदगाह में नमाज अदा करने की इजाजत न दी हो, ऐसी जगहों पर पूर्व की तरह नमाज घरों और मस्जिदों में तय संख्या के साथ अदा की जाए।

नायब मोहतमिम अब्दुल खालिक मद्रासी ने सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी न करने, जानवरों के अवशेष सड़कों पर न डालने और साफ सफाई का खास ख्याल रखने का आह्वान किया है।

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