क्षणिक खुशियों के लिये जीवन को जोखिम में न डालेंः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

0
163

-कोरोना काल में नये वर्ष का जश्न, अस्तित्व और भविष्य की सुरक्षा

ऋषिकेश । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह समय, वर्ष 2020 का अन्तिम सप्ताह है। इस सप्ताह को लोग अक्सर  जश्न के रूप में मनाते हंै। जश्न से तात्पर्य है जिसमें स्वयं के साथ दूसरे को भी खुशी और शांति मिले। जश्न ऐसा हो जिससे तनाव उत्पन्न न हो, सकारात्मक माहौल का निर्माण हो तथा जो जीवन को समग्र सुख की ओर ले जायें।
वर्तमान समय में जब पूरा विश्व कोविड-19 के कारण तनाव में है, उस समय  सभी को सोचना होगा कि अपनी छुट्टियों को कैसे मनाये और नये वर्ष के जश्न का स्वरूप क्या हो। स्वामी जी ने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य खुशियों की तलाश करना है न की क्षणिक खुशियों के लिये अपने जीवन को जोखिम के डालना। अतः सभी को आत्मावलोकन करना होगा कि खुद के साथ कैसे खुश रहा जा सकता हैं।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में अनेक चुनौतियाँ हैं ऐसे में विशेष तौर पर युवाओं को सोचना होगा कि हमारे अस्तित्व और हमारे भविष्य को कैसे सुरक्षित रखा जाये क्योंकि असली महामारी कोरोना नहीं, भय है। वैसे देखा जाये तो प्रत्येक समस्या हमें भविष्य का रास्ता भी दिखाती है। कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी हैै लेकिन चितंन करे तो कोरोना ने जीवन में वास्तिविक मूल्यों के बारे में अवगत कराया तथा जीने के सूत्र भी दिये हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नये वर्ष में प्रवेश से पहले हम सभी को यह चितंन करने की जरूरत है कि मैं, मेरा परिवार, मेरा समुदाय और मेरा राष्ट्र किस प्रकार सुरक्षित रह सकता है इसलिये हम सभी को अपनी छुट्टियों के मायने और जश्न मनाने के स्वरूप को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि स्वयं को खुश रहने की क्षमता हर किसी के स्वभाव में होती है। प्रेम, स्नेह, अपनों की समिपता और करुणा के माध्यम से खुशी मिलती है इसलिये इस कोरोना महामारी के समय अपने साथ अपनों को सुरक्षित रखने के लिये मास्क लगाना और फिजिकल डिसटेंसिंग का पालन करना नितांत आवश्यक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here