मूल निवासियों के पदों पर कब्ज़ा जमाये बैठे,पेयजल निगम के चार ईई होंगे बर्खास्त,जेई/एएई/एई पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार..

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मूल निवासियों के पदों पर कब्ज़ा जमाये बैठे,पेयजल निगम के चार ईई होंगे बर्खास्त,जेई/एएई/एई पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
https://youtu.be/7S8GCCbuqqA
उत्तराखण्ड पेयजल निगम ने चार अधिशासी अभियंताओं (ईई)को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी कर दिया है।इस मामले में उत्तराखण्ड की महिलाओं और अनुसूचित जाति के आरक्षित पदों पर यूपी, बिहार,दिल्ली के लोगों को गलत तरीके से नियुक्ति देने का आरोप है।15 दिन में नोटिस का जवाब नहीं देने पर इनपर एकतरफा कार्यवाही करते हुये सेवा समाप्त करने की चेतावनी जारी की गयी है।दरअसल पेयजल निगम में वर्ष 2005 और 2007 में नियुक्त सहायक अभियन्ता व अवर अभियन्ता के आरक्षित पदों पर गलत तरीके से भर्ती के आरोप लगे थे।अब करीब चार वर्ष चली जाँच के बाद एमडी उदयराज ने इस मामले में चार अधिशाषी अभियंताओं(ईई) को सेवा समाप्ति के नोटिस जारी किए हैं।इनमें ईई सुमित आनंद,मुनीष करारा,एम.हसन,सरिता गुप्ता शामिल हैं।ये सभी उत्तराखण्ड से बाहर के निवासी हैं।इन अभियंताओं की सेवाएं 18 साल तक की हो चुकी हैं। सहायक अभियंता पद पर भर्ती हुए ये अभियंता अधिशासी अभियंता और अधीक्षण अभियंता तक पदोन्नति पा चुके हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार ऐसे कई अवर अभियंता,सहायक अभियंता और अपर सहायक अभियंता भी कार्यवाही की जद में आ सकते हैं,जिनके कथित रूप से सम्बंधित मूल निवास,जाति प्रमाण पत्र फर्जी हैं।पेयजल निगम में वर्ष 2005 में भर्ती महिलाएं फिलहाल सुरक्षित हैं।पेयजल निगम मैनेजमेंट ने 2005 में भर्ती हुईं यूपी,बिहार की महिला अभ्यर्थियों को फिलहाल किसी भी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया है,बल्कि इनमें से कई की पद्दोन्नति जरूर कर दी गयी है। वहीं 2007 में भर्ती हुई महिलाओं को सेवा समाप्ति के नोटिस थमा दिये गये हैं,मैनेजमेंट का इस विषय में तर्क है कि 2005 में जब पहली भर्ती हुई,उस समय शासनादेश में ये स्पष्ट नहीं था कि 30 प्रतिशत महिला आरक्षण का लाभ राज्य से बाहर की महिलाओं को नहीं मिलेगा। ये 2006 के शासनादेश में स्पष्ट हुआ, इसी आधार पर 2007 वालों को नोटिस थमाया गया है।

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