देहरादून । उत्तराखंड नवनिर्माण सेना द्वारा राज्य में बदहाल आर्थिक हालात तथा अल्परोजगार के चलते अवसाद ग्रस्त हो रहे राज्य के युवाओं तथा प्रवासियों द्वारा आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के परिपेक्ष्य में एक ज्ञापन राज्य सरकार को प्रेषित किया गया। ज्ञापन में कहा गया की संसाधनों से युक्त एवं चारधामों की स्थली देवभूमि के लाखों शिक्षित युवा एवं कोरोना महामारी के चलते राज्य में वापसी आये प्रवासी भाई आज रोजी रोटी तथा रोजगार जैसी मूलभूत अधिकारों से वंचित है। ऐसा नहीं कि ये समस्या केवल कोरोना द्वारा जनित है, हाँ ये कहना उचित की कोरोना ने हालात को बदतर बना दिया। महामारी से पूर्व में भी राज्य के लाखों शिक्षित युवा रोजगार कार्यालय में रजिस्टर्ड थे, वर्तमान में प्रवासी भाईओं के राज्य वापसी के उपरांत बेरोजगारी के आंकड़ों में त्वरित वृद्धि हुई। राज्य के प्रत्येक युवा को सामान के साथ जीवन व्यतीत करने का अधिकार चाहिए।
रोजगार के पर्याप्त व्यस्थाएं एवं भविष्य की सुरक्षा को लेकर आशंका, राज्य के युवाओं में अवसाद पैदा कर रही है।जिसके परिणाम गत 1 माह में राज्य में 40 से ज्यादा आत्महत्याएं जैसी दुर्भग्यपूर्ण घटनाएं हमारे समक्ष हैं, जो निरंतर बढ़ रही हैं। राज्य का दुर्भाग्य देखिये की कोई भी अधिकारी या आपदा प्रबंधन या फिर जन नेता इस पर संवाद करते नहीं दिखते। राज्य में किराये पर संचालित कार्यशाला, लघु व्यापारी, दुकानदार अपनी इकाइयों को बंद कर रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में कार्य करने वाले राज्य के लाखों शिक्षक, होटलों, रेस्त्रां में कार्य करने वाले कामगार लाखों की संख्या में बेरोजगार हो चले हैं। सरकार अपने स्तर पर स्वरोजगार के माध्यम या फिर इन्वेस्टर सम्मिट जैसे आयोजनों के माध्यम से हालात सुधरने के प्रयास कर रही है, किन्तु अब तक ये प्रयास केवल फाइलों एवं संवादों तथा समाचार पत्रों तक सीमित हैं। इस पत्र के माध्यम से राज्य के आर्थिक हालात, युवाओं, प्रवासी परिवारों के हितों को दुरुस्त करने हेतु मांग की गई की। औद्योगिक सेक्टर को विश्वास में लेते हुए आंध्र प्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के तर्ज पर उत्तराखंड में समस्त प्राइवेट सेक्टर, ट्रस्ट, फर्म इत्यादि में राज्य के युवाओं हेतु 75 प्रतिशत रोजगार सुरक्षित किया जाए। औद्योगिक सेक्टर, लघु उद्योगों तथा राज्य में कार्यरत व्यापारी वर्ग को पुनः सशक्त करने हेतु विशेष कमेटी का गठन हो जो इन आपात हालात में समस्याओं के निदान पर युद्ध स्तर पर कार्य करें। अगले तीन माह तक लघु व्यापारी, किसानों तथा समस्त प्रकार के हाउसिंग लोन पर ब्याज माफ हो। नवम्बर तक पारदर्शिता के साथ प्रवासी परिवारों सहित समस्त गरीब तथा माध्यम वर्गीय परिवारों को 10 किलो अन्न, 2 किलो दाल तथा खाने का तेल प्रदान किया जाय। शहर तथा गांव में 200 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान की जाए , अन्यथा की दशा में बेरोजगारी क्षतिपूर्ति राशि 3000 रुपए प्रतिमाह प्रदान हो। लॉक डाउन के स्थान पर अलग अलग व्यापार के व्यवहार के अनुसार टाइम स्लॉट बनाकर नियमित बाजार खुले उधारणतः रेस्टॉरेंट का समय सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक हो तो सब्जी किराना अत्यादि हेतु समय सुबह 7 बजे से शाम 3बजे तक सुनिश्चित हो। जिसके चलते बाजार में आवश्यकतानुसार लोगो की आवाजाही रहेगी एवं संख्या कम होगी। राज्य में पर्यटन व्यवसाय का मुख्या आधार है, तो बेहतर की इसे पुनः संचालित करने हेतु साहसिक निर्णय लेकर इसे पुनः सहक्त किया जाए। इस मोके पर पर प्रदेश महासचिव राजेश चमोली, सुशील कुमार, आदर्श कुमार, दीपक गैरोला, शीशपाल बिष्ट, सतीश सकलानी, आशीष सक्सेना आदि पस्थित रहे।