-उत्तराखंड के डीएलएड प्रशिक्षितों की नौकरियों पर बाहरी फर्जी डिग्री धारियों का डाका
देहरादून । उत्तराखंड में डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार एक महीने से भी लंबे वक्त से शिक्षा निदेशालय पर नियुक्तियों की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं तथा सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। उत्तराखंड सरकार तथा उनके अधिकारियों की कारगुजारियों के कारण उनके नौकरी के अवसरों पर उत्तराखंड से बाहर के फर्जी डिग्री धारियों का डाका पड़ रहा है। उत्तराखंड क्रांति दल ने आज कुछ अहम दस्तावेजों तथा ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ इस बात का खुलासा किया कि उत्तर प्रदेश से फर्जी ढंग से प्राइवेट कॉलेज डीएलएड का प्रशिक्षण करवा रहे हैं तथा उत्तराखंड सरकार ने ऐसे फर्जी डिग्री धारियों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।
यूकेडी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल व केंद्रीय प्रवक्ता सुनील ध्यानी ने कहा कि इन डिग्री धारियों के पास उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड दोनों जगहों का स्थाई निवास प्रमाण पत्र है इसके साथ ही कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग में प्राइवेट डी एल एड कराने वाले कॉलेजों द्वारा यह साफ-साफ कहा जा रहा है किप्रशिक्षण लेने वालों को वहां पर नियमित रूप से आने की जरूरत नहीं है, सिर्फ फीस जमा कराना ही पर्याप्त है, उन्हें डिग्री दे दी जाएगी। जबकि नियमावली यह कहती है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले व्यक्ति के पास सिर्फ प्रशिक्षण लेने वाले स्थान का ही स्थाई निवास प्रमाण पत्र हो सकता है। इसके अलावा पूरे एक साल के प्रशिक्षण में 12 अवकाश के अतिरिक्त और कोई भी अवकाश नहीं दिया जा सकता।
इसके अलावा सरकारी डायट में डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को 96 दिनों का दुर्गम क्षेत्रों में विद्यालयों में प्रशिक्षण हेतु भेजा जाता है, जबकि उत्तराखंड से बाहर के प्राइवेट डी एल एड कराने वाले कॉलेजों में जॉब ट्रेनिंग की अथवा इस तरह के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है जो उत्तराखंड की स्थितियों को समझ सके। उत्तराखंड की डीएलएड प्रशिक्षण नियमावली के अनुसार क्.म्स.म्क सिर्फ जिला स्तर पर ही उत्तराखंड के स्थाई निवासियों को ही कराया जा सकता था लेकिन उत्तराखंड से बाहर कई प्राइवेट प्रशिक्षण संस्थान चलाने वाले एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में जाकर एक केस दायर किया कि दूसरे राज्यों से प्राइवेट कॉलेजों से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को भी उत्तराखंड में योग्य माना जाए। हाई कोर्ट में सरकार के वकील ने अपनी तरफ से कोई भी अर्गुमेंट नहीं किया। हाईकोर्ट के आदेश में यह साफ लिखा है। आखिर क्या कारण है कि सरकार ने उत्तराखंड में क्.म्स.म्क करने वाले अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखकर उनका पक्ष हाईकोर्ट में नहीं रखा ? यह सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उत्तराखंड क्रांति दल ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यदि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डीएलएड का डिप्लोमा लेकर यहां आवेदन करते हैं तो फिर उत्तराखंड क्रांति दल इसका कड़ा विरोध करेगा। क्योंकि उत्तराखंड में सरकारी संस्थानों में डीएलएड करने वाले अभ्यर्थियों का हित उत्तराखंड क्रांति दल के लिए सर्वोपरि है।