वन विभाग के रेंजरों के स्वैच्छिक तबादलों में अधिकारियों के करीबियों की पौ बारह..

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वन विभाग के रेंजरों के स्वैच्छिक तबादलों में अधिकारियों के करीबियों की पौ बारह..

गौरव तिवारी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:उत्तराखण्ड के वन विभाग को आजकल विवादों में रहना शायद ज्यादा पसंद आ रहा है। चाहे फायर सीजन में हुये कार्यों को लेकर हो,वनाग्नि में जन हानि को लेकर हो,कभी अवैध खनन को लेकर हो या कभी अवैध पातन को लेकर,उत्तराखण्ड के वन विभाग के आला अधिकारी लगातार विवादों में हैं।इसी क्रम में आज वन विभाग में रेंज अधिकारियों के स्वैच्छिक स्थानान्तरण की एक  सूची जारी हुई है,जिसपर कई प्रश्न चिन्ह हैं।इस सूची को देख कर लगता है कि अधिकारियों के करीबी रेंजर,जब चाहें तब,अपनी मन पसंद की जगह पर,नियमों को ताक पर रख कर ट्रांसफर प्राप्त कर सकते हैं।आज जिन 17 रेंज अधिकारियों के ट्रांसफर स्वैच्छिक आधार पर हुये हैं,उनमें प्रथम दृष्टया सभी किसी ना किसी अधिकारी के चहेते हैं! कुछ तो ऐसे रेंजर हैं,जिनके ट्रांसफर,नवंबर 2023 में ही हुए थे और अब उनका पुनः ट्रांसफर स्वैच्छिक आधार पर हुआ है।दूसरी ओर विभाग में कई ऐसे रेंज अधिकारी व कर्मचारी भी हैं,जो कई वर्षों से दुर्गम इलाकों में हैं,पर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं! शायद वो अपने उच्च अधिकारियों को होली,दिवाली या अन्य किसी त्योहार के अवसर पर मिठाई व आजकल के सीजन में आम की पेटियां नहीं पहुंचाते हों!लेकिन ज्यादा मिठाई के शौकीन अधिकारी,इस बात का ध्यान रखें,कि कुछ माह पूर्व में एक अधिकारी के घर पर जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापा मारा था,तो वहां कुछ ऐसे ही मिठाई के पैकेटों पर कई लोगों के नाम व पद नाम भी लिखे मिले थे।इस तबादला लिस्ट में एक नाम जो सबसे अधिक चौंकाने वाला है,वह रेंज अधिकारी जितेंद्र गुसाईं का है,जिन्हें भूमि संरक्षण वन प्रभाग कालसी से हरिद्वार वन प्रभाग स्वैच्छिक आधार पर भेजा गया है। जितेंद्र गुसाईं काफी समय से शिवालिक वृत में ही पोस्टेड हैं व विगत नवंबर माह में ही देहरादून डिविजन से कालसी भूमि संरक्षण वन प्रभाग में स्थानांतरित हुए थे। सूत्रों की माने तो वे काफी समय देहरादून डिविजन की भवन रेंज में रहे हैं,जिससे इनके उच्च अधिकारियों से काफी “अच्छे ” सम्बन्ध हो गये हैं।जितेंद्र गुसाईं के कार्यकाल में झाझरा रेंज में कई हरे पेड़ों को जमीन में दफ़्न कर दिया गया था,जिसका प्रमाण पिछले तीन दिनों से दो जेसीबी मशीनों द्वारा दफ़्न किये गये पेड़ों को खुदाई में बाहर निकलकर सारी दुनिया के सामने आ गया है।वहीं भू माफियों को लाभ देने के लिए वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर आरक्षित वन क्षेत्र में सड़क तक गुसाईं के कार्यकाल में बना दी गयी थी और मीडिया में खुलासे के बाद वह सड़क तुड़वा दी गई!अभी लगभग दो माह पूर्व ही गुसाईं अपनी वर्तमान पोस्टिंग लांघा रेंज में अवैध लकड़ियों से भरे ट्रक के पकड़े जाने पर चर्चा में आये थे,इस मामले में मीडिया कर्मियों को पहले गुमराह करके वाहन में छूट प्रजाति की लकड़ी बता कर,प्रतिबंधित प्रजाति की बेशकीमती लकड़ी को छुपाने की बात सामने आयी थी।सारे मामलों को वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा ठीक झाझरा रेंज में पेड़ों को तरह दफ़्न करने की स्टाइल में गुसाईं को फिर से मनचाही पोस्टिंग दी गयी है।आपको ये भी बता दें कि वन क्षेत्र अधिकारी जितेंद्र गुसाईं पूर्व में भी चौड़पुर रेंज में निजी नाप भूमि में वृक्षों के अवैध पातन के आरोप को लेकर निलंबित भी हो चुके हैं।जँहा ताजा झाझरा रेंज  प्रकरण में इनपर विभागीय अनुशासनात्मक/दण्डात्मक कार्यवाही होनी चाहिए थी,वंही इनको स्वैच्छिक आधार पर लांघा रेंज के पहाड़ी क्षेत्र से हरिद्वार के मलाईदार मैदानी क्षेत्र में स्थानांतरित कर वन विभाग के उच्चाधिकारी विभाग के ईमानदार अफसरों और कर्मचारियों को कुछ और ही संदेश दे रहे हैं।भ्रष्ट कर्मचारियों को प्रोत्साहित व संरक्षण देने वाले वाले ऐसे वन विभाग के उच्चाधिकारियों पर भी जागो उत्तराखंड की पैनी नजर बनी हुई है और जल्द ही जागो उत्तराखंड उन अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे भी आपके सामने पूरी तरह खोलकर ऐसे अधिकारियों का रक्तचाप बढ़ाने का प्रयास जरूर करेगा,जिससे भ्रष्ट अधिकारियों को सनद रहे कि उत्तराखण्ड में कोई जीवित मीडिया है जो उनके काले कारनामों पर लगातार नज़र बनाये हुये है।

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