कंडोलिया मैदान के विस्तार और पार्किंग निर्माण के नाम पर नगरपालिका पौड़ी चलवा रही 36 हरे पेड़ों पर आरियाँ!..
जागो ब्यूरो विशेष:
पौड़ी नगर पालिका परिषद द्वारा कंडोलिया मैदान के विस्तारीकरण और आयुक्त एवं एसएसपी आवास के सामने पार्किंग निर्माण के नाम पर हरे भरे पेड़ों पर आरियाँ चलवाई जा रही है,यह वृक्ष सुराही,सिल्वर ओक, यूकेलिप्टस,पॉपुलर प्रजाति के हैं,जिसमें अधिकांश सुराही के खूबसूरत जवां हरे-भरे पेड़ हैं,लेकिन अंध-विकास के नाम पर या यूं कहें विकास के नाम पर बजट ठिकाने लगाने की घटिया सोच के साथ नगर पालिका परिषद पौड़ी इन हरे-भरे पेड़ों को कटवा रही है,जानकारी प्राप्त हुई है कि इन पेड़ों का वृक्षारोपण 1976 में तत्कालीन जिलाधिकारी ज्योति पाण्डे द्वारा करवाया गया थाजिसके बाद कंडोलिया मैदान चारों ओर से बांज,देवदार,और सुराही के वृक्षों के बीच अप्रतिम सौंदर्य का प्रतीक बन गया था,उस दौरान मैदान में मखमली घास भी होती थी और इसी वजह से प्राकृतिक घास पर हॉकी के टूर्नामेंट भी होते थे,लेकिन 2020 तक आते-आते नगर पालिका परिषद पौड़ी के रहनुमा पुरानी पीढ़ी की इस सौगात को पूरी तरह भुला चुके हैं और इन हरे भरे पेड़ों पर आरी चलवाने में उसे तनिक भी संकोच नहीं हो रहा!
जब “जागो उत्तराखण्ड” ने इस बाबत नगर पालिका पौड़ी के अधिशासी अधिकारी प्रदीप बिष्ट से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि नगरपालिका पौड़ी को इस भूमि का मालिकाना हक प्राप्त है और फॉरेस्ट विभाग से इन वृक्षों को काटने की अनुमति ले ली गई है,उधर जब इस बारे में संबंधित गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ आकाश वर्मा से जानने का प्रयास किया गया,कि किस आधार पर इन हरे-भरे वृक्षों को काटने की अनुमति दी गई है? तो उन्होंने कहा की आयुक्त एवं एसएसपी आवास के सामने पार्किंग निर्माण और कंडोलिया मैदान के विस्तारीकरण को विकास कार्य मानते हुये दी गयी है,जोकि अपरिहार्य परिस्थितियों में दी जाती है,लेकिन सोचने का विषय यह है,जब पौड़ी के पास कंडोलिया से कुछ ही दूरी पर,राँसी में एशिया में ऊँचाई के हिसाब से दूसरा स्टेडियम हाई एटीट्यूड ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित हो रहा है,तो क्यों कर कंडोलिया मैदान के विस्तार और आयुक्त एवं एसएसपी आवास के सामने पार्किंग के नाम पर नगर पालिका परिषद हरे-भरे वृक्षों की बलि ले रही है जानकारी प्राप्त हुई है कि पूरे कंडोलिया वन क्षेत्र में जगह जगह विकास के नाम पर हरे पेड़ों की बलि ली जा रही है और दलील दी जा रही है की पौड़ी को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा,जो कि ठीक वैसा ही है जैसे नदी सूखने पर नाव चलाने की बात की जाए !अब यह तो पौड़ी के नागरिकों को ही तय करना है,कि क्या वह पौड़ी की खूबसूरती की नदी को सूखने देंगे और हवा में नाव चलाने की सोच पर यक़ीन करेंगे!