उत्तराखंड में शराब शौकिनों को झटका लगने वाला है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई आबकारी नीति पर मुहर लगा दी गई। जिससे अब शराब बिक्री के नियमों में भी बदलाव होने वाला है। नई आबकारी नीति में इस वर्ष शराब की कीमतों में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है। साथ ही विदेशी मदिरा की थोक आपूर्ति में स्थानीय निवासियों की भागीदारी भी नीति में सुनिश्चित की गई है। आइए जानते है क्या होंगे बदलाव…
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार धामी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में बहुप्रतीक्षित आबकारी नीति को मंजूरी दी है। जिसके तहत कई बदलाव होने वाले है। इस वर्ष आबकारी विभाग के राजस्व लक्ष्य को 11 प्रतिशत बढ़ाते हुए 4000 करोड़ से 4440 करोड़ रुपये किया गया है। इतना ही नहीं इस नीति में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती, तिपूर, आड़ू आदि के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। नीति में पहली बार प्रदेश में विदेशी मदिरा के बाटलिंग प्लांट खोलने की व्यवस्था की गई है। इससे न केवल प्रदेश में राजस्व बढ़ेगा, बल्कि निवेश भी आएगा। इससे राज्य उत्पादक और निर्यातक राज्य के रूप में भी स्थापित हो सकेगा।
नीति में शराब की पुरानी दुकानों को उसी अनुज्ञापक को 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ नवीनीकरण करने की व्यवस्था की गई है। जिन दुकानों का नवीनीकरण नहीं होगा, उनका लाटरी या नीलामी के साथ ही पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटन किया जाएगा। उत्तराखंड के मूल, स्थायी निवासियों को रोजगार देने के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा की आपूर्ति के थोक व्यापार की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। पहली बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक व्यवस्था का प्रावधान किया है।
वहीं बताया जा रहा है कि अब शराब की दुकान आवंटन में लिए आवेदक को आवेदन पत्र के साथ पिछले दो साल का आईटीआर देना होगा। पूरे प्रदेश में एक आवेदक को अधिकतम तीन शराब की दुकानें ही आवंटित की जा सकेंगी। प्रदेश के सभी जिलों में चल रही मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की मंजूरी भी राजस्व बढ़ाने को लेकर दी जा सकेगी। पर्यटन प्रोत्साहन और स्थानीय रोजगार को देखते हुए पर्वतीय तहसील और जिलों में मॉल्स डिपार्टमेंटल स्टोर में मदिरा बिक्री का आवेदन शुल्क 5 लाख रुपए और न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रावधान।