पौड़ी के “राका” भाई खेती-काश्तकारी के “आका” भाई!
जागो ब्यूरो विशेष:
पौड़ी सत्याखाल मार्ग पर क्यार्क गाँव के विजेन्द्र सिंह रावत उर्फ “राका” भाई खेती काश्तकारी करने वालों के लिए गुरु जैसे हैं,उन्हें खेती-काश्तकारी का “आका” कहा जाये तो कुछ भी गलत न होगा,दरअसल आज से लगभग दो दशक से ज्यादा समय पहले उनके लिए हालात बिल्कुल विपरीत थे,शादी हो चुकी थी और बच्चों को पालने के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करना बेहद मुश्किल,ऐसे में उन्होंने इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू किया,जिसे शुरू करने के लिए भी उन्हें बैंक से लोन लेना पड़ा,लेकिन काम चला नहीं और बैंक की लोन की किस्त भी भरना उनके लिए भारी पड़ गया,इसी बीच उद्यान विभाग के एक मित्र ने उन्हें टमाटर के कुछ बीज मुफ्त में भेंट किये,उन्होंने प्रायोगिक तौर पर ये टमाटर की बीज अपने खेत में बो दिये,लेकिन उनकी टमाटर की यह फसल भी काफ़ी हद तक खराब हो गयी,लेकिन फिर भी इतना उत्पादन तो हो गया,कि उन्होंने इस फसल से कुछ पैसा कमा लिया,अब उन्हें समझ आया कि खेती में इतनी ताक़त है कि उन्हें घर पर ही रोज़गार मिल सकता है,अब उन्होंने नेपालियों को खेती के लिये दिये हुये अपने खेत भी वापस ले लिये और धीरे-धीरे अपने खेतों में हिमांचल प्रदेश से उन्नत बीज मंगाकर लौकी,कद्दू,सेम,बैगन,गोभी तथा अन्य प्रजाति की सब्जियों की खेती करना प्रारंभ कर दिया और फिर एक वह दिन भी आया,जब उन्होंने इस पैसे से एक स्कूटर खरीद लिया,अब बैंक भी उन्हें मुंहमांगा लोग देने को तैयार था,यही राका भाई आज पौड़ी के इस इलाके के काश्तकारों के लिए एक नजीर हैं,आज उन्होंने एक बड़ा सा फार्म डेवलप कर लिया है,जिससे वह इतना कमा लेते हैं कि अपनी चार बेटियों की शादी कर चुके हैं और उनका पुत्र भी इसी काम को आगे बढ़ा रहा है,आज राका भाई सब्जी उत्पादन के साथ मत्स्य पालन,कुक्कट पालन,गौ पालन एवं अभी हाल में ही उत्तराखंड सरकार द्वारा दी गई मोबाइल फिश आउटलेट को भी चला रहे हैं,राका भाई हमारे सामने एक ऐसा उदाहरण बन कर सामने हैं,जो जीवन में बेहद निचले स्तर से उठकर आज एक बेहतर जिंदगी जी रहे हैं,राका भाई आप वाकई आज के नव युवकों के लिए “आका” बनकर सामने खड़े हो,उम्मीद है कि आज के नवयुवक भी आपसे कुछ सीखेंगे और आपके अनुभव का लाभ लेकर पहाड़ में रोज़गार पैदा कर,अपने अन्दर पहाड़ में ही एक खुशहाल ज़िन्दगी जीने का जज़्बा पैदा करेंगे।