धन दा की थलीसैंण को अल्ट्रासाउण्ड की सौगात को धरातल पर उतार,पहाड़ के सच्चे सेवक बने संयुक्त अस्पताल श्रीनगर के डॉ गर्ग..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना हमेशा से सरकार के लिये बड़ी चुनौती रहा है।सरकार इसके लिए भरसक प्रयास तो करती है,लेकिन चिकित्सक विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले संसाधन विहीन क्षेत्रों में जाने से बचते हैं।लेकिन वर्तमान सरकार में स्वास्थ्य मन्त्री डॉ धन सिंह रावत दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थलीसैण,जहां से हर रोज गर्भवती महिलाओं को 100 किमी दूर अल्ट्रासाउण्ड के लिए जाना पड़ता था,वहां अब महिलाओं को अल्ट्रासाउण्ड सुविधा मिल सकेगी। इस दूरस्थ क्षेत्र में सेवाएं देने के लिए रेडियोलॉजिस्ट डॉ रचित गर्ग ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।जहां पिछले वर्ष तक श्रीनगर जैसे हर सुविधा सुलभ क्षेत्र में भी मैदानी क्षेत्रों से डॉक्टर पहाड़ चढ़ने को तैयार नही थे,वहीं रेडियोलॉजिस्ट के रूप में डॉ रचित गर्ग ने देहरादून से श्रीनगर गढ़वाल में अपनी सेवाएं देने का मन बनाया और अब श्रीनगर संयुक्त अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दोनों जगह अपनी सेवाएं देकर,अब वे थलीसैंण जैसे दूरस्थ क्षेत्र के मरीजों को स्वास्थ्य सेवायें देगें। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से खुशी जताते हुए जानकारी साझा की है कि मेरी विधानसभा के दूरस्थ क्षेत्र सामुदायिक केंद्र थलीसैण में भी अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा शुरू कर दी गई है,पहले यहां से गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को जाँच के लिए 100 किमी दूर बेस अस्पताल श्रीनगर या अन्यत्र जाना पड़ता था,लेकिन अल्ट्रासाउण्ड व्यवस्था शुरु होने से स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी,इस दूरस्थ क्षेत्र के लिए बड़ी सौगात है।वहीं डॉ रचित गर्ग ने कहा कि अल्ट्रासाउण्ड के लिए महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है,सामुदायिक अस्पताल श्रीनगर में भी कई किमी की दूरी तय करके महिलाएं पहुंचती हैं,लेकिन एक गर्भवती महिला के लिए थलीसैंण जैसी जगह से 100 किमी दूरी तय करना जाखिम भरा है,ऐसे में श्रीनगर से थलीसैंण जाकर साप्ताहिक या मासिक रूप से चिकित्सा सेवा देकर भी मरीजों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में जहां स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत का ये प्रयास काबिले तारीफ़ है वहीं डॉ रचित गर्ग जैसे चिकित्सकों का पहाड़ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी पूरे मनोयोग से काम करने का जज़्बा,उनकी मानवता के प्रति ईमानदार सोच दर्शाता है।उम्मीद है डॉ रचित की यह सोच पहाड़ में काम करने का नाम लेने पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले अधिकारियों के लिये प्रेरणा का काम करेगी।