ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अनैतिकताओं में सरोबार डबल इंजन सरकार का “जूता” पहनकर दीप प्रज्वलन कार्यक्रम..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
दीप ज्योति परम ज्योति दीप ज्योति जनार्दनः
दीपो हरतु मे पापं दीप ज्योति नमोस्तुते… !
शास्त्रों में कहा गया है कि यदि आप कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करते हैं,तो सबसे पहले चित्त की शुद्धता और पवित्रता के साथ नियमानुसार हिंदू धर्म के रीति रिवाज के साथ हमें आगे बढ़ना चाहिये,लेकिन कल भराड़ीसैंण- गैरसैंण में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषणा के एक वर्ष पूरा होने पर चमड़े/लैदर जूते पहनकर जिस तरह से 1101दीप प्रज्ज्वलित किये गये वो मौजूदा सरकार की कथनी और करनी को जनता के सामने उजागर कर रहा है
क्योंकि हमारी सनातनी हिन्दू परंपरा में जूते पहनकर धार्मिक कार्य या पूजन करना हिंदू संस्क़ृति के विरुद्ध है,जूते,चप्पल पहनकर यज्ञ और पूजन में बैठना धर्म का अपमान है,विवेकहीन लोग ही ऐसा करते है और उनकी संस्कारहीनता भी दर्शाता है।नियम है कि दीप प्रज्ज्वलन हो या पूजन जूते खोलकर किया जाना चाहिए,लेकिन सत्ता और अहंकार के मद में चूर उत्तराखण्ड राज्य की त्रिवेंद्र सरकार ने ग़ैरसैंण के ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने की पहली वर्षगांठ को विधानसभा परिसर,भराड़ीसैंण में उत्सव के रूप में मनाया और इस अवसर पर परिसर में 1101 दीप प्रज्वलित कर दीपावली मनायी,जिसमें सभी मन्त्रियों ने दीप प्रज्ज्वलित करते समय जूते पहने हुए थे,जोकि भारतीय संस्कृति के साथ हिंदू धर्म और हिंदूत्व का ढोंग करने वालों की सच्चाई को साफ दर्शा रहा है,कि आखिर ये कैसी परिभाषा और कैसा चाल चरित्र है सरकारों में बैठे हुए लोगों का?
और तो और सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि आध्यात्मिक गुरु और मानव चेतना और मानव उत्थान की बात करने वाले संस्कृति व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस दीप प्रज्वलन कार्यक्रम में खुद जूता पहने हुए दीप प्रज्ज्वलित करते दिखाई दिए हैं,जो उनके पद और धर्म गुरु की प्रतिष्ठा पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लगा रहा है।