विद्यादत्त शर्मा जी का “मोतीबाग” नयी पीढ़ी के काश्तकारों के लिये एक जमीनी सबक..
जागो ब्यूरो विशेष:
प्राचीन काल में बच्चों की शिक्षा-दीक्षा गुरुकुल में हुआ करती थी,जो घने जंगल के बीच एकांत में प्रकृति के बेहद नज़दीक हुआ करते थे,इनमें बच्चों को युवा होने तक गुरुजी के पास सफलतापूर्वक जीवन जीने का सबक सीखने के लिए भेजा जाता था और वहां से बच्चे विभिन्न विधाओं में पूरी तरीके से पारंगत होकर वापस घर लौटते थे और राजा,सेनापति,वैज्ञानिक,साहित्यकार,संगीतकार, चिकित्सक इंजीनियर,निपुण सैनिक-कृषक सभी कुछ बना करते थे,आज इन गुरुकुलों की जगह मोटी फीस लेने वाले प्राइवेट स्कूलों, इंस्टीट्यूटों और विश्वविद्यालयों ने ले ली है,लेकिन अगर जमीनी सबक सीखना है और खास तौर पर पहाड़ में खेती-किसानी,पशुपालन,रेन वाटर हार्वेस्टिंग,मौन पालन, उद्यानिकी आदि के बारे में जमीनी सबक सीखना है तो चले आइये पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक में स्थित चौरासी वर्षीय विद्या दत्त शर्मा जी द्वारा विकसित किये गये “मोतीबाग” में जिसमें 1976 में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सुखदेई जलाशय विकसित कर दिया गया था,”जागो उत्तराखण्ड” की नज़र से जानें और समझें कि महज़ ऑस्कर अवार्ड से कई ऊपर क्यों है “मोतीबाग”!