कह के नहीं कर के होगा पीएम मोदी का “वोकल फ़ॉर लोकल” नारा कामयाब ..

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कह के नहीं कर के होगा पीएम मोदी का “वोकल फ़ॉर लोकल” नारा कामयाब ..

जागो ब्यूरो विशेष:

https://youtu.be/KJEgFiBo8U

“जागो उत्तराखण्ड” 21अक्टूबर 2014 को अपने गठन के पहले दिन से उत्तराखण्ड के विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों के मुद्दों को लेकर बेहद “वोकल” रहा है,अब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने भी कोरोना काल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए और समाज के अन्तिम व्यक्ति तक रोजगार पहुंचाने के लिये “वोकल फॉर लोकल” नारा दिया है,सरकारें नीतियां बना सकती है,लेकिन उन नीतियों को लागू करने का दायित्व हम सभी पर भी है,”वोकल फ़ॉर लोकल” भी एक ऐसा ही नारा है,इसका मतलब ये है कि हम अपने स्थानीय उत्पादों का स्वयं असरदार ढंग से प्रचार करें,अगर हमारी चीजें अच्छी हैं,चाहे वह हमारे स्थानीय व्यंजन हों या अन्य उत्पाद,तो हमें सबसे पहले स्थानीय स्तर पर ही उन्हें न केवल खरीदना चाहिये,बल्कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करना चाहिये,इससे स्थानीय स्तर पर ही अपने लोगों को रोजगार मिलेगा और एक स्थानीय अर्थव्यवस्था विकसित होगी,ऐसी छोटी अर्थव्यवस्थायें, ग्राम ,शहर,जनपद,राज्य और अंततः देश की अर्थव्यवस्था को ही मजबूत बनायेंगी,पहाड़ में हमारे कई ऐसे उत्पाद हैं जो बेहतरीन है,लेकिन हम या तो उन्हें प्रयोग नहीं करते,क्योंकि शायद यह सोचते हैं कि वह तो लोकल हैं,उनकी क्वालिटी ठीक नहीं होगी! या अगर प्रयोग करते भी हैं तो उस उत्पाद का बेहतर ढंग से स्वयं भी प्रचार प्रसार नहीं करते,जिनमें स्थानीय बेकरी उत्पाद,मंडुवे के बिस्किट,झंगोरे के लड्डू आदि भी शामिल हैं,पौड़ी शहर में ही “उमंग” स्वयं सहायता समूह,उत्तराखण्ड ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से ब्लॉक कार्यालय पौड़ी के निकट इनका उत्पादन कर रही है,कोरोना के कारण राज्य से बाहर उत्पादित हुये उत्पादों के प्रति डर के कारण भी आजकल ये पहाड़ी उत्पाद ख़ूब पसन्द भी किये जा रहे हैं,विरोधाभाष देखिये!इसके ठीक बगल में ही रोजगार कार्यालय है,जँहा हर दिन सरकारी रोजगार के लिये पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है,ये युवा इस कार्यालय के बगल में झाँक भर लें तो उन्हें आसानी से रोजगार की राह भी मिल सकती है!अगर दक्षिण भारतीय व्यंजन डोसा,इडली आदि उत्तर भारत ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय हो सकते हैं,तो हमारे पहाड़ के उत्पाद क्यों नहीं? मंडुये के बिस्किट,झंगोरे के लड्डू,झंगोरे की खीर,कोदे की रोटी या विभिन्न प्रकार के पहाड़ी साग जैसे चैसा,भटवाणी चुरकाणी,फाणु,दालें आदि आदि..,अगर हम स्थानीय स्तर पर अपनी आर्थिकी को बेहतर करना चाहते हैं,तो हमें अपने स्थानीय उत्पादों को ख़ुद तो प्रयोग करना ही चाहिये और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को ही नहीं बाहर के लोगों को भी इनके बारे में स्वयं बताना चाहिये,ऐसा करके वाकई में हम “वोकल फ़ॉर लोकल” होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोरोना काल में दिया गया नारा न केवल चरितार्थ होगा,बल्कि उत्तराखण्ड भी रोजगार के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा और हमारे युवाओं को रोजगार के लिए उत्तराखण्ड से बाहर पलायन भी नहीं करना पड़ेगा,आप किसी भी पहाड़ी उत्पाद के लिये सर्किट हॉउस पौड़ी स्थित “जागो उत्तराखण्ड” पहाड़ी स्टोर अथवा मोबाइल/व्हाट्सएप नंबर 7830677767/ 9718060367 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।

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