बाबा रामदेव को कांग्रेस के पाले में लाने के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की कोशिश को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाराजगी के साथ खारिज कर दिया है।
बाबा को कांग्रेस के करीब लाने की अपनी कोशिश की जानकारी जब रावत ने सोनिया को दी तो कांग्रेस अध्यक्ष ने यह कहते हुए उसे नामंजूर कर दिया कि जो व्यक्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वाला हो, कांग्रेस व नेहरू गांधी परिवार के खिलाफ लगातार बोलता रहा हो, उसके साथ कोई सहयोग कैसे हो सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कांग्रेस विचारों के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। सोनिया से रावत की यह मुलाकात 23 मई को हुई और उस बैठक में कांग्रेस महासचिव व उत्तराखंड प्रभारी अंबिका सोनी भी मौजूद थीं।
उत्तराखंड सरकार द्वारा योग गुरु रामदेव और उनके संस्थान के खिलाफ दर्ज कराए गए कई मुकदमों पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत पिछले लंबे समय से पार्टी के भीतर और बाहर दबाव से जूझ रहे हैं। यह मुकदमे उनके पूर्ववर्ती विजय बहुगुणा के कार्यकाल में दर्ज हुए थे।
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो बहुगुणा ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पार्टी हाईकमान को खुश करने के लिए रामदेव और उनके संस्थान के खिलाफ शिकायतों को लेकर ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज कराए थे। फिर भी उन्हें हटना पड़ा।
लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री बदलने के बाद इन मुकदमों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया जबकि रावत सरकार के कुछ मंत्री और हरिद्वार ऋषिकेश के रामदेव विरोधी खेमे के साधू संत लगातार सरकार पर कार्रवाई का दबाव बना रहे हैं।
उधर भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार से बाबा रामदेव का मोहभंग होने के बाद रामदेव की निकटता हरीश रावत के बेहद करीबी पूर्व विधायक रंजीत रावत के साथ बढ़ गई और मुख्यमंत्री रावत का रुख भी नरम हो गया।
इसका संकेत तब मिला जब कुछ महीने पहले केदारनाथ में निर्माण कार्य पूरा होने पर बाबा रामदेव मुख्यमंत्री के साथ हेलीकाप्टर से केदारनाथ गए। रामदेव के धुर विरोधी और कांग्रेस समर्थक माने जाने वाले संतों आचार्य प्रमोद कृष्णम, आखाड़ा परिषद के प्रवक्ता हठयोगी और ब्रम्हस्वरूप ब्रह्मचारी आदि ने खुलकर विरोध किया, तब अन्य संतों को भी हेलीकॉप्टर से केदारनाथ लाया गया।
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कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले रामदेव ने कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए राहुल गांधी के प्रयासों की सराहना करके एक राजनीतिक संदेश भी दिया।