स्वार्थ सिद्धि में लगे प्रोफेसरों ने नरक बना डाला हेमवतीनन्दन गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय…
आशुतोष नेगी
उतराखण्ड मे केन्द्रीय हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विवि इन दिनों भारी अव्यवस्थाओं से गुजर रहा है , कुलपति की बर्खास्तगी व कुलसचिव के निलम्बित होने के कारण विवि मे कई गतिविधियाँ रूक गई है और जिसका असर अब पठनपाठन पर भी पड़ने लगा है। वहीं कुलपति की कुर्सी पर प्रतिकुलपति के बैठने की आशंकाओ को देखकर सीनियर प्रोफेसरों मे कुलपति बनने की होड़ लग गई है ,
“जागो उतराखण्ड ” की एक तहकीकात ,बद्हाल विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़ा:
हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय गढवाल विश्वाविद्यालय , उतराखंड मे उच्च शिक्षा का एक मात्र केन्द्रीय विश्वाविद्यालय जहां भविष्य बनाने की आश मे उतराखण्ड ही नही बल्कि देश के अलग अलग राज्यों से बच्चे पहाड़ की गोद मे बने इस विश्वाविद्यालय मे पहुँचते हैं , 1973 में स्थापित इस विश्वाविद्यालय ने 2009 मे केन्द्रीय दर्जा प्राप्त किया, जिसके बाद यहां की स्थितियों के सुधरने की प्रबल सम्भावनाऐं बढी लेकिन इन 8 सालों मे विश्वाविद्यालय ने अच्छे कार्यों से इतनी सुर्खिंया नही पाई जितनी कि भ्रष्टाचार, अनियमिताओं, अव्यवस्थाओं से उपजे आन्दोलनों मे सुर्खियाँ पाई है। यही कारण है कि विश्वाविद्यालय राजनीतिक अखाड़े मे तब्दील हो चुका है। विवि मे पढने वाले छात्र-छात्राऐं यहां जिन कमियों को महसूस करते हैं उन पर कभी बात नही होती है , पठन पाठन के कार्यों मे जो सुधार की मांग होनी चाहिए थी वह न छात्र संगठनों के मुद्दे रहते न ही अध्यापन के कार्य से जुड़े कर्मचारियां के,विश्वाविद्यालय के नवम्बर व दिसम्बर महीने जो घटनायें हुई उससे विवि राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम खराब करता हुआ दिखा , घटनाओ पर नजर डाले तो
सबसे पहले नवम्बर महीने मे विश्वाविद्यालय के आर्थिकी को सम्भालने वाले फाइनेंस आफिसर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उन पर आरोप थे कि वे दो दो पदों पर तनख्वाह ले रहे थे और विवि के आवास तक का भुगतान नही कर रहे थे , आरोप सिद्ध होते ही उन्होने 11 लाख का भुगतान विश्वाविद्यालय के खाते मे किया
दूसरा घटनाक्रम कुलपति व कुलसचिव के बीच की आपसी मतभेद से उपजा और कुलसचिव कई दिनों तक बिना कारण बताये अपने आॅफिस तक नही पहुंचे और एमएचआरडी आॅफिस मे बैठ गये जिसके बाद कुलपति द्वारा उन्हें निलम्बित कर दिया गया।
इसके एक ही सप्ताह बाद कुलपति पर चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रिर्पोट एमएचआरडी ने राष्ट्रपति को सोंपी जिसके मुताबिक आरोपों की पुष्टि हुई और राष्ट्रपति द्वारा कुलपति से कारण बताओ नोटिस दिया गया लेकिन कुलपति ने खुद ही इस्तीफा देने की बात कही, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त किया गया, जिसके साथ ही वे देश के ऐसे तीसरे कुलपति बन गये जो कार्यकाल के दौरान बर्खास्त हुए।
अब विश्वविद्यालय मे फैली अवस्थाओ से शैक्षिक स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है। उच्च पदों पर केवल प्रतिकुलपति डीएस नेगी है जिनके लिए इस चुनौती से पार पाना आसान नहीं होगा। यूजीसी के नियमों में एक वर्ष में 180 दिन शिक्षण कार्य और संपूर्ण परीक्षा 60 दिन के अंदर समाप्त किए जाने का प्रावधान हैं। लेकिन केन्द्रीय विवि बनने से गढवाल विवि में परीक्षा कार्यक्रम 60 दिन के बजाय 90-100 दिनों में पूर्ण करवाए जा रहे हैं। वहीं विवि के एकेडमिक कैलेंडर का भी पालन नही किया जा रहा हैं। विवि खुद की गलती सुधारने के बजाय अनुदानित महाविद्यालय के शिक्षकों के अवकाश और स्टाफ की कमी रहने का बहाना बनाता हैं। गौर करने वाली बात यह है की विवि स्तर के परीक्षा परिणाम बेहद देरी से घोषित किए जाते है। वर्तमान सेमेस्टर परीक्षा 20 दिनों में यानि 31 दिसंबर तक समाप्त हो जानी चाहिए थी लेकिन विवि ने 40 दिनों का परीक्षा कार्यक्रम बनाया हैं जो अब 27 जनवरी तक समाप्त होगी । प्रोफेसर डी एस नेगी प्रति कुलपति होने के नाते कुलपति की अनुपस्थिति मे कुलपति का पद सम्भालने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त व जिम्मेदार अधिकारी हो सकते हैं। लेकिन विश्वाविद्यालय की कमान प्रतिकुलपति के हाथों हैं जो विश्वाविद्यालय की तमाम गतिविधियो को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन विश्व
विद्यालय मे राजनीति थमने का नाम नही ले रही है और उनके पद को गलत साबित करने व उनको हटाकर , कुलपति पद पर सीनियर प्रोफेसर को बिठाने की लड़ाई विश्वाविद्यालय मे अभी भी जारी है ऐसे मे अब मानव ससांधन विकास मत्रालय को जरूरत है, तो इस बात की, कि इस विद्या के मन्दिर को किस तरह राजनीतिक अखाड़े से बहार निकाला जाये।