पर्यटन विभाग और उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उपेक्षित प्रथम बद्री आदि बद्री…
आशुतोष नेगी की विशेष रिपोर्ट
चमोली जनपद में कर्णप्रयाग के नजदीक गैरसैंण मार्ग पर स्थित आदि बद्री पर्यटन विभाग और उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उपेक्षित किये जाने की वजह से आज भी पर्यटकों और धार्मिक पर्यटकों के बीच ख़ास लोकप्रिय नहीं हो पाया है,नागर स्टाइल में 8 वीं शताब्दी में कत्यूरी वंश के राजाओं के शासनकाल में बनाये गये इस मन्दिर समूह की सुन्दरता देखते ही बनती है ,उपेक्षा की हद देखिए कि इस मन्दिर के दर्शन को आये पर्यटकों के वाहनों तक को खड़े करने की बिल्कुल भी व्यवस्था नहीं है ,जिस वजह से नैनीताल और गैरसैंण जाने वाले यात्री चाह कर भी यँहा रुक नहीं पाते, कोटद्वार-पौड़ी-पैठाणी-कर्णप्रयाग होते हुये या ऋषिकेश-देवप्रयाग -पौड़ी-पैठाणी-कर्णप्रयाग होते हुये यदि चार-धाम वैकल्पिक मार्गों को उत्तराखण्ड सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा प्रचारित किया जाये तो इस इलाके में पैठाणी में स्थित देश के एक मात्र राहु के मन्दिर और प्रथम बद्री आदि बद्री के दर्शन के साथ पौड़ी-खिर्सू-लैन्सडाउन हिल स्टेशन्स एवं इसी इलाके में स्थित बिन्सर महादेव मन्दिर ,ताराकुण्ड जैसे अनेकों पर्यटक स्थलों को देखने भारी संख्या में पर्यटक इस इलाक़े में पहुँच सकते हैं,जिससे मुख्य चार धाम यात्रा मार्ग पर लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात तो मिलेगी ही इस इलाके के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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