आबाद होगा उत्तराखण्ड का “एकांतवास”पर्यटन..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
उत्तराखण्ड के खूबसूरत पहाड़ों,जंगलों और कंदराओं के बीच बसे छोटे बड़े गाँव,कस्बे और शहर हालाँकि कोरोना महामारी के चलते आजकल वीरान पड़े हों,लेकिन महामारी का जो सकारात्मक प्रभाव हुआ है वह यह है कि उत्तराखण्ड की ओर हजारों लोगों का रिवर्स माइग्रेशन हो चुका है,जिसे हक़ीक़त का अमली जामा पहनाने में सरकारें पूरी तरह विफ़ल हो चुकी थीं,इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो पर्यटन कारोबार से जुड़े हुए हैं और कुछ ऐसे हैं जो खेती,पशुपालन ,बागवानी या कोई पहाड़ी कारोबार करने के इच्छुक हैं,यह सारे लोग मिलकर उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दे सकते हैं,पौड़ी जनपद में ही लगभग बारह हजार से ज्यादा लोग देश के अन्य राज्यों पहुंचे हैं,कोरोना महामारी के विदा होने के बाद एक बात तो तय है कि भारत से विदेश यात्रा पर जाने का पर्यटन लगभग समाप्त हो जाएगा,क्योंकि सभी यूरोपीय देश और अमेरिका समेत संपूर्ण विश्व पर कोरोना का काला साया हिंदुस्तान से भी ज्यादा है,ऐसे में कोई भी भारतीय पर्यटक यहां से विदेश जाने का उत्सुक शायद ही होगा,लेकिन घरेलू पर्यटन के बढ़ने की काफी संभावना है,उत्तराखण्ड के शान्त पहाड़ी अंचलों में एकांतवास के लिये,योगा के लिये, मेडिटेशन के लिए पर्यटकों के आने की भारी संभावना है,पौड़ी के पास खिर्सू इन्ही पर्यटन आकर्षणों से भरपूर एक पर्यटन गाँव है,जहां पहले से ही काफी सँख्या में बंगाली पर्यटक,एकांतवास और प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए पहुंच रहे हैं,कोरोना संकट समाप्त होने के बाद खिर्सू जैसे पर्यटक स्थल एकांतवास प्रेमी पर्यटकों से गुलजार होंगे,क्योंकि इनसे बेहतर तनाव मुक्त होने की दूसरी जगह दुनिया जहां में कम ही मौजूद हैं!