सांस्कृतिक नगरी पौड़ी की बेटी डॉ.कुसुम भट्ट की संगीत आराधना से महक रहा देश…
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ.कुसुम भट्ट पौड़ी की बेटी हैं,मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली कुसुम पाँच भाई बहनों में दूसरे नंबर की बेटी हैं,कुसुम एक होनहार छात्रा रही और उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा जीजीआईसी पौडी से प्राप्त की और इंटरमीडिएट की परीक्षा में कला वर्ग से टॉप भी किया,उसके बाद कुसुम ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पौड़ी परिसर से स्नातकोत्तर की डिग्री उत्तीर्ण की,साथ ही कुसुम ने पौड़ी के भातखंडे संगीत महाविद्यालय से शास्त्रीय गायन में विशारद की डिग्री ली,संगीत के क्षेत्र में भातखण्डे महाविद्यालय पौड़ी के संगीत रत्न भाई मोहन सिंह रावत जी उनके गुरु हैं,बाद में रोजगार की तलाश में दिल्ली में आने के बाद आपने डॉक्टर सरिता पाठक यजुर्वेदी से संगीत की शिक्षा प्राप्त की और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से संगीत गायन विषय में फिर से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की,उसके बाद कुसुम ने वनस्थली विद्यापीठ से पीएचडी की डिग्री हासिल की,कुसुम ने सन 1996 में गाना शुरू कर दिया था ,इस दौरान रामनगर में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार भी तीन बार मिला,कुसुम को संगीत नाटक एकेडमी की स्कॉलरशिप लोक संगीत म्यूजिक में मिली है, 2015 में कुसुम को गायनाकोलॉजिस्ट फोरम द्वारा “वुमन ऑफ द ईयर” का अवार्ड भी दिया गया,कुसुम ने रामा, नीलम, टी-सीरीज जैसी कंपनियों के लिए भी गाया है, जिसमें गढ़वाली फिल्म श्याम ढलणी च, कैसेट मेरु रंगीलो मुलुक,मैंणा घसियारी,शीला मायादार और नव दुर्गा जागरण के लिए भी कुसुम ने गाया है,साथ ही हिंदी गीत ,”फिर चांद उतर आया”एल्बम में भी कुसुम ने गाना गाया है,कुसुम शास्त्रीय संगीत के साथ गज़ल और भजन विधा में भी महारत रखती है,कुसुम आकाशवाणी दिल्ली केन्द्र में भी काम करती हैं और आपके भजन के कार्यक्रम भी केन्द्र से प्रसारित होते रहते हैं, इसके साथ ही टीवी के कुछ सीरियल,डॉक्यूमेंट्री जैसे सुबह सवेरे, बिहाने-बिहाने में भी कुसुम ने काम किया है,साथ ही नवाब वाजिद अली शाह की डॉक्यूमेंट्री में भी कुसुम ने आवाज दी है,विगत बारह सालों से कुसुम बच्चों को संगीत की शिक्षा भी देती आ रही हैं और गीत लिखने,म्यूजिक कंपोज़ करने का भी काम करती हैं,संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिये 2019 में कुसुम को स्वामी हरिदास कला रत्न सम्मान भी दिया गया है,कुसुम गढ़वाल के लोक संगीत के लिये पिछले लगभग बीस साल से अधिक समय से समर्पित होकर काम कर रही हैं, वे अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों के अथक प्रयास और अपनी माताजी के संघर्ष को देती हैं,पेश है “जागो उत्तराखण्ड” से पौड़ी और उत्तराखण्ड का नाम संगीत और गायन के क्षेत्र में चमका रही डॉ.कुसुम भट्ट से ख़ास बातचीत..