कोरोनाकाल में भी पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी के ख़िलाफ़ काँग्रेस का मोदी सरकार के ख़िलाफ़ दून में विरोध प्रदर्शन..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के विरोध में उत्तराखण्ड प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में काँग्रेस कार्यकर्ताओं ने काँग्रेस मुख्यालय देहरादून से घण्टाघर, दर्शनलाल चौक तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मानव-श्रंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया।पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में प्रातः 10ः00 बजे से कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एकत्र हुये, जहां से प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हाथों में झण्डा एवं तख्तियां लिये कांग्रेसजन घण्टाघर की ओर बढ़े। प्रदर्शन से पूर्व प्रदेश काँग्रेस मुख्यालय में आयोजित सभा में कार्य-कर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रीतम सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में 2014 से लेकर जून 2020 तक मोदी सरकार ने देश की जनता की गाढ़ी कमाई का अस्सी लाख करोड़ रुपये लूटने का काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार की बेशर्मी का आलम ये है कि उसने कोरोना काल के पिछले तीन महीनों में भी पेट्रोल के दाम 21.50 ₹ व डीजल के दाम 26.46 ₹ बढ़ा कर महंगाई व वैश्विक महामारी के दंश से दुखी जनता की कमर तोड़ने का काम किया है,प्रीतम सिंह ने कहा कि काँग्रेस अब मोदी सरकार की इस लूट को और बर्दाश्त नहीं करेगी और महंगाई के खिलाफ जिला,ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर तक आंदोलन चलाया जाएगा। सभा का संचालन प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने किया,कार्यक्रम के उपरान्त कांग्रेसजनों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित किया। जिसमें प्रदेश काँग्रेस ने महामहिम राष्ट्रपति से पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की कीमतों में की गई बेतहाशा वृद्धि को वापस लेने के निर्देश देने की मांग की जिला -धिकारी को सौंपे ज्ञापन में काँग्रेस ने कहा कि लाॅकडाउन के पिछले तीन माह के दौरान पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और कीमतों में बार-बार की गई अनुचित बढ़ोत्तरी ने भारत के नागरिकों को असीम पीड़ा व परेशानियां दी हैं। जहां एक तरफ देश स्वास्थ्य व आर्थिक महामारी से लड़ रहा है,वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमतों और उस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ाकर इस मुश्किल वक्त में मुनाफाखोरी कर रही है। मोदी सरकार द्वारा भारत के नागरिकों से की जा रही जबरन वसूली एकदम स्पष्ट परिलक्षित हो रही है। देश की जनता में इस बढोत्तरी के विरूद्ध भारी आक्रोश है। उत्तराखण्ड प्रदेश की जनता की भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए आज उत्तराखण्ड प्रदेश काँग्रेस कमेटी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में इस अनुचित वृद्धि के विरूद्ध राज्य की राजधानी देहरादून में प्रदर्शन के माध्यम से हम आपके ध्यान में निम्नलिखित अकाट्य व अखंडनीय तथ्य ला रहे हैंः-
1. मई, 2014 में (जब भाजपा ने सत्ता संभाली थी), पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रु. प्रति लीटर एवं डीजल पर 3.46 रु. प्रति लीटर था। पिछले छः सालों में केंद्र की भाजपा सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 23.78 रु. प्रति लीटर एवं डीजल पर 28.37 रु. प्रति लीटर की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी कर दी है।चौंकाने वाली बात है कि पिछले छः सालों में भाजपा सरकार द्वारा डीजल के उत्पाद शुल्क में 820 प्रतिशत तथा पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में 258 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
2. केवल पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बार-बार वृद्धि करके मोदी सरकार ने पिछले छः सालों में 18,00,000 करोड़ रु. जमा किए।
3. तीन माह पहले लाॅकडाउन लगाए जाने के बाद पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ाकर तो मुनाफाखोरी और जबरन वसूली की सभी हदें पार कर दी गईं हैं। 5 मार्च, 2020 को पेट्रोल व डीजल के मूल्य में 3 रु. प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई। 5 मई, 2020 को मोदी सरकार ने डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 13 रु. प्रति लीटर और पेट्रोल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 10 रु. प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की। 7 जून, 2020 से लेकर 24 जून, 2020 तक निष्ठुर मोदी सरकार ने 18 दिनों तक पेट्रोल व डीजल के मूल्य लगातार बढ़ाए, जिससे डीजल का मूल्य 10.48 रु. प्रति लीटर एवं पेट्रोल का मूल्य 8.50 रु. प्रति लीटर बढ़ गया। पिछले साढ़े तीन महीनों में भाजपा सरकार ने डीजल पर मूल्य और उत्पाद शुल्क 26.48 रु. प्रति लीटर व पेट्रोल पर 21.50 रु. प्रति लीटर बढ़ा दिया। एक सरकार द्वारा देश के नागरिकों का इससे ज्यादा शोषण और क्या हो सकता है?
4. देश के नागरिकों से छल करने और उनकी गाढ़ी कमाई की जबरन वसूली का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल के भाव कम हुए हैं। 24 जून, 2020 को कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय भाव 43.41 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था, जो डॉलर-रुपए भाव के अनुसार 3288.71 रुपए प्रति बैरल बनता है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इसलिए 24 जून, 2020 को कच्चे तेल का प्रति लीटर भाव 20.68 रु. बनता है। इसके विपरीत, पेट्रोल-डीजल के मूल्य आसमान छूकर 80 रु. प्रति लीटर पहुंच गए हैं, जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार भारत के भोले-भाले नागरिकों की जेब पर डाका डालकर उन्हें लूट-खसोट रही है।इस बात पर भी ध्यान दें कि जब काँग्रेस की यूपीए सरकार केंद्र में सत्ताधीन थी, तो कच्चे तेल का दाम 108 अमेरिकी डाॅलर प्रति बैरल था, जो 24 जून, 2020 को गिरकर 43.41 अमेरिकी डाॅलर प्रति बैरल हो गया,यानि इसके मूल्य में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंचा दिए हैं।प्रदेश काँग्रेस ने महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह किया कि आप 5 मार्च, 2020 के बाद पेट्रोल -डीजल के दामों एवं उत्पाद शुल्क में की गई सभी बढ़ोत्तरी को तत्काल वापस लिए जाने का निर्देश दें,जिससे इस मुश्किल समय में इसका फायदा देश के नागरिकों तक पहुँचे,कार्यक्रम में सैंकड़ों काँग्रेस कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।