“जागो उत्तराखण्ड” द्वारा खोले गये सतपाल महाराज की विधायक निधि से हुये शिक्षा विभाग के अपट्रान एलसीडी खरीद घोटाले की जाँच पूरी..

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“जागो उत्तराखण्ड” द्वारा खोले गये सतपाल महाराज की विधायक निधि से हुये शिक्षा विभाग के अपट्रान एलसीडी खरीद घोटाले की जाँच पूरी..
जागो ब्यूरो विशेष:

“जागो उत्तराखण्ड” द्वारा खोले गये, पौड़ी जनपद की चौबट्टाखाल विधानसभा के विधायक और पर्यटन मन्त्री सतपाल महाराज की विधायक निधि से ई-लर्निंग के नाम पर पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत के निर्देश पर प्रति विद्यालय लगभग 70 हज़ार की क़ीमत पर लगाये गये घटिया अपट्रान एलसीडी(उप्र सरकार का उपक्रम जो 2003 में बन्द हो चुका है) और अन्य सामग्री की खरीद कर पैसे की बंदरबाँट करने के मामले की जाँच पूरी हो गयी है,जनता इंटर कॉलेज जोगीमढ़ी के पूर्व प्रबंधक वरदान नेगी ने भी इस भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत मुख्य विकास अधिकारी को की थी,मामले की जाँच पौड़ी की पूर्व मुख्य विकास अधिकारी दीप्ति सिंह द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पौड़ी एस. एस.बर्तवाल,कोषाधिकारी पौड़ी और जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी पौड़ी की तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी गयी थी,कोरोना संकट के कारण जाँच पूरी होने में विलम्ब हुआ ,लेकिन अब जाँच रिपोर्ट वर्तमान सीडीओ पौड़ी हिमान्शु खुराना के पास पहुँच गयी है,जिससे भष्टाचार के आरोपियों पर जल्द कानूनी शिकंजा कसने की उम्मीद जग गयी है।

ये था मामला..

पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत का अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति और अनुमोदन के नाम पर पैसे का लेन देन का स्टिंग वीडियो लोग भूल पाते,इससे पहले ही उन्होंने फिर एक सनसनीखेज कारनामा कर दिखाया है,दरअसल पर्यटन मन्त्री सतपाल महाराज द्वारा अपनी विधानसभा चौबट्टाखाल के उनपचास विद्यालयों में अध्यापकों की कमी पूरी करने और बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलवाने के लिए इ-लर्निंग स्मार्ट क्लासेस हेतु पाठ्य सामग्री और उसको बच्चों को प्रदर्शित करने हेतु एक एलसीडी टीवी ,एक्सटर्नल स्टोरेज ड्राइव और कुछ सहायक उपकरण उपलब्ध करवाने हेतु अपनी विधायक निधि से प्रत्येक विद्यालय को लगभग सत्तर हजार की धनराशि स्वीकृत की गयी थी

इसके लिये मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी(मदन सिंह रावत) को कार्यदायी संस्था बनाया गया ,महाराज द्वारा अपनी विधायक निधि से उच्च गुणवत्ता की पठन पाठन सामग्री और उपकरण क्रय किये जाने के साफ़ निर्देश दिए गए थे ,लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत ने ,देहरादून की “सिक्स्थ सेन्स” नाम की कम्पनी से सांठ गाँठ कर, विद्यालयों में अपट्रॉन कंपनी के एलसीडी लगवा दिए ,आपकी जानकारी के लिए बता दें की अपट्रॉन यूपी सरकार का उपक्रम था,जिसे घाटे में चलने के कारण करीब डेढ़ दशक पूर्व बंद कर दिया गया था,ऐसे में अपट्रॉन के नाम पर विद्यालयों में घटिया किस्म का असेंबल्ड एलसीडी लगवा दिए जाने का पूरा अंदेशा है ,बाजार से जानकारी प्राप्त हुई है कि इस तरह की असेंबल्ड सेट बाजार में दस हजार रूपए में उपलब्ध हो जाता है,इस तरह प्रत्येक विद्यालय से लगभग पचास से साठ हजार तक कमा लिए गए ,अगर इसे उनपचास विद्यालयों से गुणा किया जाए तो आंकड़ा पच्चीस से तीस लाख तक पहुँचता है,यानी महाराज द्वारा स्वीकृत विधायक निधि के पैतीस लाख में से नब्बे प्रतिशत धनराशि का गोलमाल,सूचना के अधिकार और विद्यालयों के प्रधानाचार्यों व प्रबंधकों से जानकारी प्राप्त हुयी है कि अपट्रान के ये एलसीडी और अन्य ई-लर्निंग उपकरण नवम्बर के पहले पखवाड़े में ही विद्यालयों में पहुँचा दिये गये और बाद में सभी उनपचास प्रधानाचार्यों को मदन सिंह रावत,मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी ने अपने कार्यालय में बुलाकर सिक्स्थ सेंस और दो और कम्पनी के कोटेसन पकड़ा दिये, इन कोटेसन में भी कम्पनी के टिन नम्बर और कोटेसन की दिनाँक तक अंकित नहीं है,जिससे ये स्पष्ठ होता है कि पूरा खेल फिक्स था,मदन सिंह रावत द्वारा बाद की तिथि में खाना पूरी के लिये प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित कर उच्च गुणवत्ता की ई-लर्निंग डिवाइस और पाठ्य सामग्री क्रय करने के निर्देश दिये गये और सिस्थ सेंस कम्पनी का एकाउंट नम्बर भी भुगतान हेतु उपलब्ध कराया गया,लेकिन सूचना के अधिकार में प्राप्त पत्रावली में स्पष्ठ हो चुका है कि ई-लर्निंग सामग्री विद्यालयों में नवम्बर के प्रथम पखवाड़े में पहुँच गयी थी और मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा नवम्बर माह के अन्तिम दिनों में प्रधानाचार्यो से ई-लर्निंग सामग्री क्रय और सिक्स्थ सेंस को भुगतान के लिये कहा गया,शायद मदन सिंह रावत चाहते थे कि प्रधानाचार्यों से भुगतान करवा कर वो साफ़ बच निकल जायेंगे, लेकिन सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी कि ई-लर्निंग उपकरण नवम्बर के प्रथम पखवाड़े में विद्यालयों में पहुंची और मदन सिंह रावत के विद्यालयों से पत्राचार नवम्बर के अन्तिम दिनों के हैं,ने सारी पोल खोल के रख दी है,दरअसल मदन सिंह रावत ने इस ख़रीददारी में विभागीय प्रोक्योरमेंट नियमों का भी मख़ौल उड़ाया,क्योंकि 35 लाख की खरीददारी हेतु टेंडर प्रक्रिया अपनाना जरूरी था,ये मदन सिंह रावत द्वारा सेन्ट्रलाइसड़ परचेस थी जिसे प्रधानाचार्यों द्वारा दिखाने का मदन सिंह रावत द्वारा असफ़ल प्रयास किया गया,जो सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी में पूरी तरह से खुल चुका है,कई प्रधानाचार्यों ने ई-लर्निग पाठ्य सामग्री का वीडियो देखकर उसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठाये हैं,क्योंकि पाठ्य सामग्री को पढ़ाने वाले भी नौशिखिया बच्चे दिखायी दे रहे हैं,उधर “जागो उत्तराखण्ड”के इस खुलासे के बाद विद्यालय प्रबन्धकों की भी शिकायत पर्यटन मंत्री और विधायक चौबट्टाखाल सतपाल महाराज तक पहुँच गयी है,

जिसपर महाराज ने जिलाधिकारी पौड़ी को प्रकरण की जाँच के आदेश दे दे दिये हैं,उधर पौड़ी की सीडीओ दीप्ति सिंह ने भी “जागो उत्तराखण्ड”को पूरे प्रकरण के जाँच करवाने का आश्वासन दिया है,”जागो उत्तराखण्ड”पर्यटन मन्त्री सतपाल महाराज का आभार प्रकट करता है कि उन्होंने हमारी ख़बर का संज्ञान लिया और तत्काल जिलाधिकारी पौड़ी को प्रकरण की जाँच के आदेश दे दिये हैं, उम्मीद है जल्द दूध का दूध और पानी होकर घोटाले के दोषियों को दण्डित कर यह सन्देश सार्वजनिक किया जायेगा, कि कोई भी सरकारी अधिकारी जनहित में जारी की गयी विधायक निधि पर डाका डालने का दुस्साहस न करे।

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