क्या त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में महज कमिशनखोरी के लिये ख़रीदे गये राज्य की सहकारिता समितियों के लिये कंप्यूटर गैजेट्स !..
भाष्कर द्विवेदी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
छः माह में कंप्यूटरिकृत होंगी सहकारिता समितियां !……
जुलाई 2020 में इसकी विधिवत शुभारम्भ करने वाले पूर्व मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और सहकारिता मन्त्री धन सिंह रावत क्या आपने ये तेजी कम्प्यूटर्स गैजेट्स खरीद में कमिशनखोरी करने के लिये दिखायी थी ?जुलाई 2020 से जुलाई 2021तक अब एक साल पूरा होने को है,लेकिन आपकी गिनती में अभी भी छः माह पूरे नहीं हुये हैं! जुलाई 2020 से अब तक क्यों आपने प्रदेश की सहकारिता समितियों को कम्प्यूटर गैजेट्स उपलब्ध नहीं करवाये? जबकि करोड़ों का यह सामान आपके गृह जनपद पौड़ी और अन्य जनपदों के सहकारिता विभाग के कार्यालयों में पड़ा धूल फांक कर बर्बाद हो रहा है।आख़िरकार कब ये सामान बंद पेटियों से बाहर निकल कर आम जनमानस को लाभ दे पायेगा?आपको बताते चलें कि उत्तराखण्ड में सहकारिता की रीढ़ कही जाने वाली बहुद्देश्यीय सहकारी समितियों को हाईटेक करने की क़वायद केवल बजट ठिकाने लगाने के लिए देहरादून में पूर्व मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और सहकारिता मन्त्री धन सिंह रावत द्वारा की गयी थी,तब राज्य के सभी समाचार एजेंसियों ने रिपोर्टिंग कर इस ख़बर को प्रमुखता दी थी!दरअसल हक़ीक़त ये है कि नज़ीर के रूप में, वीवीआईपी जनपद पौड़ी गढ़वाल में ही ग्रामीण क्षेत्रों में सभी समितियों में पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं और तो और अधिकतर समितियों के कार्यालय में लाइट और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं!लेकिन कागजों में इस तरह की पहल करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य जरूर बन गया है!तेलंगाना ने पूर्व में लाभ में चल रही सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण किया,मगर उत्तराखण्ड अपनी सभी 670 समितियों का कंप्यूटरीकरण करने का कागज़ों में दावा कर रहा है! तत्कालीन मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमन्त्री आवास में इन समितियों के कंप्यूटरीकरण कार्य की शुरुआत करते समय कहा था कि, “अगले छह माह के भीतर यह कार्य पूर्ण हो जाएगा!” इस अवसर पर सहकारिता मन्त्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी दावा ठोकते हुये कहा था कि “समितियों के कंप्यूटराइज्ड होने पर पूरा सहकारिता विभाग ऑनलाइन हो जायेगा!इससे जहां समितियों के कार्याें में पारदर्शिता व तेजी आयेगी,वहीं लोगों को इसका लाभ भी मिलेगा” लेकिन मन्त्री जी का ये दावा हवा-हवाई साबित होने और सहकारी समितियों के ऑनलाइन न होने से केंद्र व राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ किसानों को और वीवीआईपी जनपद पौड़ी के ही सहकारिता विभाग के तहत कुल 132 प्राथमिक कृषि ऋण समितियां को नहीं मिल पाया!”प्रदेश के अन्य जनपदों में भी हालात कमोबेश यही हैं!”जागो उत्तराखंड” इस सम्बन्ध में वर्तमान मुख्यमन्त्री तीरथ सिंह रावत से निवेदन करता है,कि हमारी ख़बर का संज्ञान लेकर मामले में उचित कार्यवाही कर जनता को राहत पहुंचाये!