तीन अरब की लागत से बने डोबरा-चांठी की मास्टिक में तीन बार दरार पड़ने पर भी सो रहे सीएम धामी और पीडब्ल्यूडी मन्त्री सतपाल महाराज.!
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
तीन अरब की लागत से बने देश के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी की मास्टिक में दरार आ गयी है,इस पुल को बने अभी जुम्मा-जुम्मा साल ही हुआ है!लेकिन पुल के मास्टिक पर तीन बार दरारें पड़ चुकी हैं।खास तौर पर प्रतापनगर वासियों की उम्मीदों के इस पुल को आकार लेने में पूरे पन्द्रह साल लगे,लेकिन लोकार्पण के महज कुछ ही महीनों बाद इस पुल की ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं,जिन्हें देख लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं।देश के पहले सिंगल सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल पर बिछी मास्टिक में एक बार फिर दरार पड़ने लगी है और ये पहली बार नहीं हो रहा,मास्टिक पर दरारें पड़ने का यह तीसरा मामला है। जिससे लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। साल 2020 में टिहरी झील के ऊपर बनकर तैयार हुए इस पुल पर तीसरी बार दरार पड़ी है। डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज के ऊपर बिछे मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने से जनता में आक्रोश है। उन्होंने पुल की निर्माणकारी संस्था गुप्ता कंस्ट्रक्शन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह पुल प्रतापनगर की जनता के संघर्षों का परिणाम है,जो कि प्रतापनगर की लाइफ लाइन भी है। बता दें कि डोबरा-चांठी पुल की लंबाई 725 मीटर है,इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है,पुल में 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड से है, पुल की चौड़ाई 7 मीटर है।पुल पर बिछी मास्टिक की दरारों को देखकर स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं,उन्होंने कहा कि सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि दरारों को तत्काल ठीक कराया जाय। लेकिन बार-बार दरारें पड़ने के बावजूद कोई अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा।अगर इसी तरह अनदेखी की गई तो यह पुल ज्यादा दिन तक नहीं टिक पायेगा। अधिकारियों को पुल के प्रति गंभीर होना पड़ेगा।स्थानीय लोगों ने एक बार फिर मास्टिक बिछाने वाली कंपनी के खिलाफ जाँच कराने की मांग की है।वहीं लोक निर्माण विभाग के कार्य देख रहे अधिशासी अभियंता पवन ने बताया कि पुल के मेंटेनेंस का कार्य पाँच साल तक कंपनी ही करेगी।मास्टिक पर पड़ी दरारों को ठीक करने के लिए कंपनी के कर्मचारियों को निर्देश दे दिए गये हैं।पाँच साल तक जो भी काम किए जाएंगे वो कंपनी की देखरेख में ही किए जाएंगे।आपको बता दें कि डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2005 में शुरू किया गया था, इसे बनने में 10 साल से ज्यादा का समय लगा,8 नवंबर 2020 को इसका उद्घाटन किया गया,अभी पुल के उद्घाटन को एक साल का वक्त भी नहीं हुआ था कि मास्टिक के जोड़ खुलने के साथ उसमें दरार पड़ने लग गयीं!
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ दिन पूर्व ही भाजपा में शामिल राजेश्वर पैन्यूली ने कहा कि प्रतापनगर की जनता की सुरक्षा को देखते हुए कंपनी और सरकार द्वारा आजतक इस पुल की थर्ड पार्टी से जांच नहीं करवाई गयी,जिस प्रकार दिल्ली की मेट्रो लाइन की थर्ड पार्टी से जांच कराई जाती है। रिपोर्ट आने के बाद मेट्रो का संचालन किया जाता है,लेकिन डोबरा चांठी पुल के ऊपर बिना थर्ड पार्टी जाँच के वाहन दौड़ रहे हैं।उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि कंही ऐसा न हो कि जैसे रानीपोखरी का पुल टूटने के सरकार जागी,वैसा ही यँहा भी हो जब बड़ा जान-माल का नुकसान हो चुका हो!उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार में प्राप्त जाँच में पुष्टि हुयी है कि डोबरा चांठी पुल की थर्ड पार्टी से जांच नहीं करवाई गई है।जिसका बड़ा खामियाजा हर दिन जनता को भुगतना पड़ सकता हैं!कभी मास्टिक टूट रही है,तो कभी पुल के आसपास जमीन में मलबा आ रहा है,इस पुल की थर्ड पार्टी जाँच होनी आवश्यक है,जिससे लोगों की सुरक्षा की गारण्टी मिल सके और कोई बड़ा हादसा न हो।लेकिन सवाल ये उठता है कि पुल की मास्टिक में पड़ी दरारें जब ये साबित कर रहीं है कि पुल के निर्माण में कोई न कोई तकनीकी खामी जरूर है या पुल के निर्माण में निर्माण सामग्री की गुणवत्ता से समझौता किया गया है,तो ऐसे में तीन अरब की विशाल लागत से बने पुल के निर्माण से संबंधित अभियंताओं और कार्यकारी संस्था गुप्ता कंस्ट्रक्शन के कान उमेठने से डबल इंजन सरकार के मुख्यमंत्री धामी और पीडब्ल्यूडी मन्त्री सतपाल महाराज क्यों बच रहे हैं?कहीं पूरी दाल ही तो काली नहीं है!