मोदी के आल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर संकट के बादल…
निर्माणकारी कम्पनी राज श्यामा उच्च न्यायालय के आदेश का उड़ा रही मजाक…
जागो ब्यूरो रिपोर्ट
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के स्वप्न उत्तराखण्ड में बन रहे चार धाम आल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर संकट के बादल छाते जा रहे हैं,पहले इस सड़क के निर्माण हेतु काटे गये हजारों पेड़ों के कटान को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में सिटीजन फ़ॉर ग्रीन दून संस्था द्वारा भारत सरकार के ख़िलाफ़ डाली गयी याचिका के बाद,इस प्रोजेक्ट का गंगोत्री हाईवे और बद्रीनाथ-केदारनाथ हाईवे का रुद्रप्रयाग में कई किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण का काम रुका पड़ा ही था,कि अब हिमाद्री जन कल्याण संस्थान द्वारा उत्तराखण्ड सरकार के ख़िलाफ़ नैनीताल हाई कोर्ट में डाली गयी जनहित याचिका में,माननीय उच्च न्यायालय ने अपने 11 जून के आदेश में नदी किनारे सड़क निर्माण समेत सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है,कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि नदी से 500 मीटर तक आल वेदर रोड की ख़ुदाई में निकले मलबे को अब मलबा और मक डिस्पोजल के लिए गए बनाये गये डम्पिंग जोन में नहीं फेंका जाएगा,उच्च न्यायालय की जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस लोकपाल सिंह की डबल बेंच ने पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार,उत्तराखण्ड एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एंड पॉल्युशन कन्ट्रोल बोर्ड और राजस्व विभाग को निर्देश दिए थे,कि वे तीन हफ्ते के अन्दर नदी से 500 मीटर दूर नये डम्पिंग जोन ढूंढ कर, वँहा डम्पिंग जोन का बोर्ड लगाये और निर्माणकारी संस्थाओं से वँहा मलबा डम्पिंग चालू करवाये,तब तक नदी किनारे सड़क और अन्य निर्माण पर रोक जारी रहेगी,11 जून के आदेश के तीन हफ़्ते से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अभी तक नये डम्पिंग जोन ढूंढने में सम्बंधित जिम्मेदार संस्थायें असफल रही हैं, लेकिन इस बीच ऋषिकेश से देवप्रयाग के बीच आल वेदर रोड का कार्य कर रही राज श्यामा कंस्ट्रक्शन लिमिटेड कम्पनी शिवपुरी के पास गंगा नदी से चंद मीटर दूर,नदी और जंगल के ऊपर मलबा डलवाती हुयी “जागो उत्तराखण्ड”के कैमरे में कैद हुयी है,जिसकी शिकायत इस क्षेत्र में आल वेदर रोड का निर्माण कार्य करवा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के श्रीनगर खण्ड के अधिशाषी अभियन्ता मनोज बिष्ट से करने पर उन्होंने सम्बंधित कम्पनी के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने की बात कही है,साथ ही उन्होने बताया कि राज श्यामा कंस्ट्रक्शन कम्पनी पर इससे पूर्व भी नियमों को तोड़ने पर 4 लाख रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया था, लेकिन शायद कम्पनी को उच्च न्यायालय के आदेशों की भी परवाह नहीं, अगर ऐसा न होता तो वह बार -2 उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना न करती, क्योंकि मौजूदा घटना से पूर्व भी “जागो उत्तराखण्ड” द्वारा 23 जून को वीडियो प्रमाणों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को सूचित किया गया था कि इसी क्षेत्र में कम्पनी द्वारा लगातार नदी में मलबा डम्प किया जा रहा है, तब राष्ट्रीय राजमार्ग श्रीनगर खण्ड के अधिशाषी अभियन्ता द्वारा यह कहकर कि वँहा पर डम्पिंग जोन है,शिकायत को लापरवाही से टाल दिया गया था,जबकि माननीय उच्च न्यायालय के 11 जून के आदेश के बाद नदी से 500 मीटर से कम दूरी पर बने सभी डम्पिंग जोन अवैध हैं,उच्च न्यायालय के आदेश की लगातार अवहेलना होने से अब आल वेदर प्रोजेक्ट का निर्माण कानून के फेर में और उलझने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है तथा सम्भव है कि सरकार और सम्बंधित जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करवाने में असफल रहने की वजह से,उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने का मन बना रहे निर्माणकारी राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को वँहा से भी राहत न मिल पाए,ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आल वेदर रोड बनाकर इसे जनता के समक्ष उपलब्धि के रूप में पेश करने का मोदी का सपना टूटता नजर आ रहा है