चमोली जनपद में अधिकारियों को होम और इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन करने में भेदभाव!..यूपी के हॉटस्पॉट्स से उत्तराखण्ड आया अधिकारी घर पर और उत्तराखण्ड के ही अधिकारी इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन..
जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:
प्रदेश के चमोली जनपद में अधिकारियों को क्वारंटाइन करने में भेदभाव का मामला प्रकाश में आया है,दरअसल प्रदेश के ही दूसरे जनपद से आने वाले अधिकारियों या व्यक्तियों को चौदह दिन के लिए इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन किया जा रहा है,इसी नियम का पालन करते हुये,चमोली जनपद के कई आला अधिकारियों समेत प्रदेश से बाहर से आने वाले कई व्यक्तियों को मण्डल के पास इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किया गया है,यहां तक बात समझ में आती है, लेकिन इसी जनपद में एक मामला इस तरह का प्रकाश में आया है,जँहा जनपद स्तरीय एक अधिकारी,जिसका निवास उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास है,वह उत्तरप्रदेश के कई हॉट स्पॉट पार करते हुये कुमाऊँ-गैरसैंण होता हुआ जनपद में दाखिल हो गया,इस अधिकारी से कोरोना संक्रमण की संभावना अधिक थी,क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के कई कोरोना हॉटस्पॉट से गुजरता हुआ आया था ,लेकिन जिला प्रशासन द्वारा उसे इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन करने के बजाए घर में ही क्वारंटाइन करने की सुविधा प्रदान कर दी गयी है,इस अधिकारी का नाम बृजेन्द्र कुमार पाण्डेय बताया जा रहा है और यह जिला पर्यटन अधिकारी है,बताया जा रहा है कि यह उत्तरप्रदेश के कानपुर के पास से अपने घर से कुछ दिन पूर्व ही उत्तराखण्ड पहुंचा है,दरअसल उत्तर प्रदेश में कानपुर से लगे हुए कई इलाकों को देश के हॉटस्पॉट्स में चयनित किया गया है,ऐसे में इस अधिकारी को किस वजह से होम क्वारंटाइन की सुविधा दी गई है,समझ से परे है?
इस बारे में जब जनपद की जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन नहीं उठाया,अब इस गम्भीर मामले को “जागो उत्तराखण्ड”प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार के संज्ञान में भी ला रहा है, कि आख़िर लाइलाज़ कोरोना संक्रमण से बचाव में भी जिला प्रशासन चमोली द्वारा अधिकारियों के साथ इस तरह का भेदभाव बरतकर जानलेवा लापरवाही क्यों की जा रही है?