उत्तराखण्ड सरकार द्वारा श्रीनगर में अलकनंदा नदी में रिवर ट्रेनिंग करवाने के ख़िलाफ़ उत्तराखण्ड हाइकोर्ट में जनहित याचिका स्वीकार..

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उत्तराखण्ड सरकार द्वारा श्रीनगर में अलकनंदा नदी में रिवर ट्रेनिंग करवाने के ख़िलाफ़ उत्तराखण्ड हाइकोर्ट में जनहित याचिका स्वीकार..

जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और जागो उत्तराखण्ड समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक आशुतोष नेगी ने उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में श्रीनगर में अलकनंदा नदी के दूसरे छोर में टिहरी प्रशासन द्वारा नौर और मढ़ी में रिवर ट्रेनिंग के लाइसेंस दिए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है,याचिका माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गयी है,याचिका में कहा गया है कि अलकनंदा नदी पर जीवीके डैम बनने के बाद ऊपरी हिमालयी क्षेत्र से आने वाला आरबीएम डैम में डिपॉजिट हो जाता है,जबकि टिहरी प्रशासन,इस आधार पर कि अलकनंदा नदी में अत्यधिक आरबीएम जमा हो रहा है,साल दर साल रिवर ट्रेनिंग के लाइसेंस जारी कर रहा है,जिसमें दलील दी जाती है कि आसपास के गाँवों को नदी के बहाव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए नदी को चैनलाइज कर बीच में लाना आवश्यक है!जबकि हकीकत यह है कि डैम बनने के बाद ऐसा होना संभव ही नहीं है और पोकलैंड मशीनों से अत्यधिक खुदाई किए जाने के कारण सिंचाई विभाग द्वारा लगाई गई बाढ़ सुरक्षा दीवारों की बुनियाद को भी खोखला कर दिया गया है ,साथ ही साथ रिवर ट्रेनिंग लाइसेंस धारी जलधारा में उतर कर जमकर अवैध खनन भी कर रहा है,जिस ओर जनपद टिहरी का कीर्तिनगर प्रशासन भी आँख बंद किये हुये है,जनहित याचिका का उद्देश्य श्रीनगर में अलकनन्दा नदी के दोनों किनारों के इलाकों में रहने वाली बड़ी आबादी,जिसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय का चौरास परिसर भी शामिल है को अलकनन्दा नदी में पोकलैंड मशीनों द्वारा रिवर ट्रेनिंग द्वारा अत्यधिक खुदाई किए जाने से भविष्य में होने वाले भू-धंसाव से संभावित भारी जनहानि से सुरक्षा करवाना है।

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