उत्तराखण्ड में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाएं:पाँच वर्ष में 798 महिलाओं व 3295 नवजात शिशुओं की अकाल मौत!..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
बीते पाँच वर्षों में उत्तराखण्ड में 798 महिलाओं और 3295 नवजातों की मौत हुई है! उत्तराखण्ड रिसर्च ग्रुप के शोधार्थियों की उत्तराखण्ड में बढ़ती मातृ और नवजात मृत्यु दर की शोध रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।पिछले चार वर्षों में मातृ-मृत्यु दर का वार्षिक औसत 180 के करीब है। लगातार हो रही मौतों के आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कितनी बदहाल हैं।भारत के अधिकतर राज्यों में मातृ-मृत्यु दर में कमी है लेकिन उत्तराखण्ड में वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड में प्रसव के दौरान करीब 21 प्रतिशत मौतें हुयी हैं। उत्तराखण्ड की जनसंख्या में कुल 35 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले देहरादून और हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा मौतें हुयी हैं। वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच प्रसव के दौरान सबसे अधिक 230 महिलाओं की मौत हरिद्वार जिले में हुई है,जबकि पाँच सालों में नैनीताल जिले में सबसे ज्यादा 910 नवजातों ने दम तोड़ा है। राज्य की जनसंख्या में करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले चंपावत, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल,उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में 28 फीसदी नवजातों की मौत हुई है।
पाँच वर्षों में नवजात शिशु मृत्यु दर ढाई गुना बढ़ी है।उत्तराखण्ड में पिछले पाँच वर्ष में जन्म से लेकर अट्ठाइस दिनों के भीतर शिशु मृत्यु दर ढाई गुना बढ़ी है। बीते पांच सालों में उत्तराखण्ड में 3295 शिशुओं की मौत हुई है। वर्ष 2016-17 में 228 नवजात शिशुओं तो वर्ष 2020-21 में 772 नवजातों ने दम तोडा है।
पांच सालों में नवजातों की मृत्यु
जिला – मौतें
अल्मोड़ा- 47
बागेश्वर- 14
चमोली- 29
चंपावत- 113
देहरादून- 619
हरिद्वार- 401
नैनीताल- 910
पिथौरागढ़- 225
पौड़ी गढ़वाल-319
रुद्रप्रयाग- 102
टिहरी गढ़वाल- 134
यूएस नगर- 243
उत्तरकाशी- 139
पाँच सालों में प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु
जिला मौतें
अल्मोड़ा- 24
बागेश्वर- 01
चमोली- 22
चंपावत- 23
देहरादून- 178
हरिद्वार- 230
नैनीताल- 76
पिथौरागढ़- 32
पौड़ी गढ़वाल- 32
रूद्रप्रयाग- 07
टिहरी गढ़वाल- 31
यूएस नगर- 120
उत्तरकाशी-22