शिव अकेला नहीं सरकार, ताण्डव को रहो तैयार!…
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
हमेशा सरकार के ख़िलाफ़ तथ्यों के आधार पर मुखर होकर लिखने वाले पर्वतजन पत्रिका और पोर्टल के सम्पादक तेजतर्रार पत्रकार शिवप्रसाद सेमवाल को गिरफ्तार करा कर,मौजूदा सरकार ने उनकी बेख़ौफ़ लेखनी को चुप कराने का प्रयास भर किया है,लेकिन चाहे उत्तरा बहुगुणा प्रकरण रहा हो,युवाओं पर सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री या सरकार विरोधी कमैंट्स करने पर मुकदमे क़ायम करने की बात रही हो,108 कर्मियों का उत्पीड़न हो या हालिया आयुष छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार आदि आदि,मौजूदा सरकार और उसके मुखिया ने साबित कर दिया है,कि उसके पास अपने ख़िलाफ़ सत्य सुनने का धैर्य ही नहीं है,प्रदेश में पूर्व में कांग्रेस की भी सरकार रही और पत्रकारों ने विभिन्न जनहित के मुद्दों पर हरीश रावत और कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया,लेकिन हरीश रावत ने हमेशा मुस्कराते हुये अपनी और सरकार की आलोचना को स्वीकार किया,लेकिन हमनें मौजूदा सरकार के मुखिया को कई बार मुख्यमन्त्री पद की गरिमा को लांघते हुये झल्लाते हुये देखा है,शायद सरकार ये भूल गयी है शिव को जेल भेजकर उन्होंने ताण्डव को आमन्त्रण दिया है,मैं अपने सभी उत्तराखण्ड के पत्रकार भाइयों से अनुरोध करूंगा कि वे और मुखर होकर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लिखें,शिव अकेला नहीं सरकार,ताण्डव के लिये रहो तैयार!..
कौन कहता है पत्रकारिता स्वतन्त्र है!!
👉 *उत्तराखण्ड में TSR सरकार के इशारों पर या फिर साहबों के साहब को खुश करने का पुलिस का नायाब तरीका!*
👉सत्ता व शासन की निर्भीकता से पोलखोलने बाले पत्रकार की गिरफ्तारी से सबालों के घेरे में दून पुलिस!!
*…एक और उमेश शर्मा काण्ड की दस्तक?*
👉उठाया घर से और एसओ कहते कि खुद थाने चल कर आया तथाकथित अभियुक्त सम्पादक?
👉 *एस पी देहात कहते कि पूछताछ के लिए बुलाया गया और पत्रकार कहते कि बिना सूचना के शातिर अपराधी की तरह सुबह 10 बजे करीब घर से उठाया?*
👉ये पत्रकारिता व पत्रकार के साथ दमनात्मक कार्यबाही नहीं तो और क्या?
👉 *एसएसपी साहब, क्या थाना सहसपुर पुलिस के इस अवैध व निन्दनीय कृत्य एवं दुस्साहस पर भी करेंगे कोई एक्शन?*
👉क्या TSR सरकार अपने दामन पर लग रहे मीडिया के दमन के दाग से बचने हेतु कोई निष्पक्ष कारगर कदम उठाएगी!
वर्तमान युग में केवल कहा ही जाता है कि प्रजातन्त्र का चौथा स्तम्भ है मीडिया, और वह स्वतंत्र है। परन्तु ऐसा इस भृष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स बाली जीरो साबित ही चुकी TSR के राज्य में मुमकिन ही कहाँ?
👉TSR की नाक में जबतब दबंग, सप्रमाण खबरें प्रकाशित करने बाले निर्भीक पत्रकार शिव प्रशाद सेमवाल पर पूर्व चर्चित एक चैनल के सीईओ व एडिटर इन चीफ उमेश शर्मा कांड की तरह पुलिसिया कहर व ताण्डव फिर दोहराया जाता दिखाई पड़ रहा है! और उस पत्रकार के दमन तथा पत्रकारिता पर कुठाराघात और पुलिसिया कहर वरपेगा, का एक ऐसा ही मामला आज देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सहसा देखने को मिला जब सुबह करीब 10 बजे थाना सहसपुर एसओ पी डी भट्ट थाने के 7-8 बर्दी-बिना बर्दीधारी पुलिस के साथ नेहरु कालोनी स्थित प्रख्यात पर्वतजन वेबमीडिया पोर्टल के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के घर पहुँचे और बिना किसी गिरफ्तारी वारण्ट व विधिवत सूचना के जबरन पुलिस की गाड़ी में एसओजी की मदद से डाल कर थाने ऐसे लेआये जैसे वह पत्रकार देशभक्त न होकर देश छोड़ कर भागने की फिराक में अथवा किसी पेशेवर शातिर अपराधी होगा जैसा कि पकड़ कर पुलिस अक्सर लाती है। यही नहीं इस मामले में भी पुलिस की वही रटी रटाई कहानी कि बाकायदा आरोपी अभियुक्त को सफ़ीना दिया गया और मुलजिम खुद चल कर थाने पहुंचा और उसे बादजाँच पड़ताल, सबूतों के आधार पर जाँच में दोषी पाते हुये, बताकर गिरफ्तारी दिखा दी गई। जबकि इसके विपरीत एस पी देहात डोभाल ने फोन पर शाम करीब 4 बजे बताया कि पत्रकार सेमवाल की गिरफ्तार नहीं बल्कि सीओ महोदय के द्वारा पूछताछ की जा रही है तथा गिरफ्तारी जैसी कोई बात नहीं है… फिर भी वे पता करते हैं..!
ज्ञात हो कि थाना सहसपुर के लक्ष्मीपुर चोरखाला निवासी नीरज राजपूत के द्वारा दिनाँक 27-10-2019 को पंजीकृत कराए गए मुकदमा अपराध संख्या 414/2019 अंतर्गत धारा 420, 386, 384, 504, 506 एवं 120 वी के तहत उक्त कार्यवाही की गई है तथा एक अन्य अभियुक्त अमित पाल फरार बताया गया।
👉एसएसपी अरुण मोहन जोशी से जब इस प्रकार अनुचित रूप से एक पत्रकार की गिरफ्तारी किये जाने पर बात की गई तो उन्होंने कहा और आश्वासन दिया कि यदि इस प्रकरण में किसी भी रैंक के अधिकारी द्वारा नियम विरुद्ध व पक्षपात पूर्ण कार्यवाही कीगई होगी तो उसे बख्शा नहीं जायेगा!
👉यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसी कौन सी स्थिति पुलिस के सामने उत्पन्न ही गयी थी कि वह एक पत्रकार के साथ सम्मानजनक तरीका न अपनाकर सुधबुध खो बैठी और एक पत्रकार के कैरियर से खिलवाड़ करने को आमादा हो गई!
👉देखना यहां गौर तलब होगा कि इस प्रकार एक पत्रकार की अवैध गिरफ्तारी और सरकार से झूठी पीठ थपथपाने की ललक व लालसा में सहसपुर पुलिस के इस अनुचित कृत्य पर बड़े कप्तान का क्या रुख होता है! हालाँकि पत्रकारों में इस घटना और पुलिस के पक्षपाती रवैये को लेकर रोष व्याप्त है। पत्रकारों का कहना है दौरान विवेचना पक्षपाती कार्यवाही के विरुद्ध यदि कोई ठोस कार्यवाही नही होगी तो पत्रकारों को संघर्ष के लिये विवश होना पड़ेगा।
👉क्या प्रदेश की TSR सरकार मीडिया पर पुलिस के कहर अथवा पुलिस के तथाकथित दुरुपयोग और दमन के तथाकथित आरोप से अपने को पाकसाफ साबित करने हेतु कोई कारगर कदम उठाएगी या फिर इस प्रकरण को एक शतरंजी चाल व प्यादे के रूप में इस्तेमाल कर अपना गेम खेल कर राजनीत करेगी? क्या पुराने चर्चित उमेश शर्मा प्रकरण की भाँति यहां भी TSR सरकार यहाँ भी किसी के तीर का प्रयोग मर्जी के अनुसार करके आग में हाथ तापेगी या पुलिसिया जुल्म की इन्तहां को रोकेगी?