जीजीआईसी पैडुल की छात्रा प्रिंसी ने दिव्यांगों के लिये किया विज्ञान अविष्कार..!

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जीजीआईसी पैडुल की छात्रा प्रिंसी ने दिव्यांगों के लिये किया विज्ञान अविष्कार..!
जागो ब्यूरो रिपोर्ट!

कहते है प्रतिभा परिस्थितियों की मोहताज नही होती,इसी कहावत को चरितार्थ किया है,पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित राजकीय कन्या इंटर कॉलेज पैडुल की छात्रा प्रिंसी ने!बारहवीं कक्षा की इस प्रतिभाशाली छात्रा द्वारा भारत सरकार द्वारा आयोजित साइंस इंस्पायर अवार्ड(मानक) में दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए उनके द्वारा बनाई गई बैसाखी का मॉडल,जिसे जरूरत पड़ने पर बैठने के लिये भी प्रयोग में लाया जा सकता है,राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुआ है।

उनकी इस उपलब्धि पर विद्यालय के सभी अध्यापकों व स्टाफ ने खुशी जाहिर की है,प्रिंसी की उपलब्धि ने साबित कर दिया कि इंसान में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो असम्भव को संभव बनाया जा सकता है, जहाँ एक ओर अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का बहाना कर लोग पहाडों से पलायन कर देते है,वहीं प्रिंसी ने ग्रामीण क्षेत्र में रहते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाकर ऐसे लोगों को आईना दिखाया है,प्रिंसी की इस उपलब्धि में उनके सभी अध्यापको के साथ ही उनकी मार्गदर्शक शिक्षिका रेनु पवन भारत का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है ,प्रिंसी के दादाजी सातवीं गढ़वाल रेजिमेंट से सेवानिवृत्त,शौर्य चक्र विजेता रहे हैं,प्रिंसी ने जागो उत्तराखंड को बताया कि बचपन से ही उनके दादा जी उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं और देशसेवा की भावना उनमे उनके दादा जी ने ही विकसित की है।प्रिंसी ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मार्गदर्शक शिक्षिका रेनु पवन भारत को दिया है,वहीँ
विद्यालय की प्रभारी प्रधानाचार्या शुभा रयाल ने प्रिंसी की इस उपलब्धि पर उनको बधाई दी है,प्रिंसी बहुत ही सामान्य परिवार से है,उसके पिता जयप्रकाश पैडुल में ही अपना छोटा सा, व्यवसाय करते हैं और माँ कौशल्या देवी गृहणी हैं!इन हालातों में भी ग्रामीण परिवेश से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की उसकी उपलब्धि समाज के संपन्न और अच्छी सुविधाओं में जीवन जी रहे बच्चों के लिये भी एक नजीर है,इस सफलता में उसकी मार्गदर्शिका शिक्षिका रेनु पवन भारत और विद्यालय का योगदान भी अतुलनीय है।

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