माधो सिंह भण्डारी, मलेथा के सेरे उजाड़ कर मनायें पर्यावरण दिवस!..

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माधो सिंह भण्डारी, मलेथा के सेरे उजाड़ कर मनायें पर्यावरण दिवस!..

जागो ब्यूरो विशेष:

आज सारी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है, पर्यावरण दिवस मनाने के नाम पर आज फिर बहुत सारे पेड़ लगाये जाएंगे और सोशल मीडिया पर उन पेड़ों को लगाती हुई बहुत सारी फोटो और बगल में पर्यावरण प्रेमियों के बहुत सारे मुस्कराते चेहरे आपको दिखायी देंगे,दरअसल हमने हर चीज को एक इवेंट बना दिया है,हमारी आदत किसी ख़ास दिन उस चीज का विभिन्न तरीके से डिस्प्ले करना है और दूसरे दिन से भूल जाना है,भले ही आज हम पर्यावरण दिवस मना रहे हों,लेकिन शायद आपको पता न हो कि हमने विकास के नाम पर पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर से कुछ किलोमीटर दूर मलेथा के ऐतिहासिक धरोहर कृषि क्षेत्र को रेलवे प्रोजेक्ट ने बर्बाद कर दिया है,सैकड़ों साल पहले यहां के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी ने पर्वत के पार से गुफा खोदकर गूल निकालकर इन खेतों तक पानी पहुंचाया था,जिससे यह कृषि क्षेत्र हरी भरी फसलों से लहलहाता था,यहां पर बेहतरीन किस्म के चावल की फसल होती थी,जो पूरे इलाके में प्रसिद्ध थी,बताया यह भी जाता है कि एक रात देवी माँ वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के सपने में आयी और उसने कहा कि “तू इस गुफा को खोदकर अपने सेरों तक गूल तब ही पहुँचा पायेगा,जब अपने इकलौते पुत्र की बलि देगा!वीर भड़ माधो सिंह भंडारी ने इन खेतों के लिए यह भी किया! लेकिन आज इस ऐतिहासिक कृषि क्षेत्र को रेलवे प्रोजेक्ट के लिए बर्बाद कर दिया गया है और वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के वंशज भी खामोश हैं,शायद उन्हें कुछ मुआवजा मिल गया है, लेकिन यह सरकारों की बड़ी भूल है,जो इस तरह के धरोहर कृषि क्षेत्र को एक विकास प्रोजेक्ट के लिए कुर्बान कर देती है,क्योंकि रेलवेलाइन को तो दूसरी जगह से गुजारा जा सकता है,लेकिन इस तरह के कृषि क्षेत्र को दोबारा बसाना बिल्कुल नामुमकिन है,रेल और आल वेदर रोड प्रोजेक्टस कृषि क्षेत्र का विनाश,पेड़ों की कटाई और गंगा व अन्य सहायक नदियों में बेहिसाब मलबा डंप कर पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति पहुँचा चुके है,इन बड़े प्रोजेक्ट्स से भले ही हम भविष्य में कुछ विकास की फ़सलें काट लें,रोज़गार के प्रश्न कुछ सुलझ और कुछ उलझ जायें,लेकिन ये जरूरी हो जाता है कि इन ऐतिहासिक भूलों से कुछ सबक लेकर हम विश्व पर्यावरण दिवस पर ये संकल्प जरुर लें,कि पुरखों ने हमें जो विरासत में दिया है,उसे तो कम से कम संजो कर रखें,जिससे आने वाली पीढ़ियाँ इतिहास में काले अध्यायों के रूप में हमारे नामों को न पढ़ें!

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