देवप्रयाग के नजदीक सौड़ में बन रहे रेलवे स्टेशन के मजदूरों और कर्मचारियों द्वारा की जा रही है गंगा दूषित!..
भाष्कर द्विवेदी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
प्रधानमन्त्री मोदी के “स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत”अभियान की किस तरह से बड़े-बड़े परियोजनाओं के माध्यम से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं,इसका उदाहरण पौड़ी जिले के कोट ब्लॉक में देवप्रयाग के निकट सौड़ गाँव के समीप बन रहे रेलवे स्टेशन के मजदूरों और कर्मचारियों द्वारा माँ मोक्षदायिनी गंगा के किनारे मल- मूत्र त्यागने से चारों ओर फैली गन्दगी और बदबू के साम्राज्य के रूप में देखा जा सकता है!इस पाप कर्म पर स्थानीय सरकारी अमला और जिला प्रशासन निरंतर आँखों में पट्टी बांधकर मूकदर्शक बना हुआ है,स्थानीय देवप्रयाग निवासी,गंगा प्रहरी अरविंद सिंह द्वारा इस मामले में आवाज उठाई गयी तो संबंधित कर्मियों द्वारा उनके साथ तरह-तरह की बातें और उनके पूछे जाने पर नाराजगी जतायी जा रही है,आपको बताते चलें कि बद्रीनाथ के अलकापुरी से अलकनंदा और गोमुख से निकलने वाली भागीरथी का संगम देवप्रयाग में ही होता है,इन दोनों नदियों के संगम के उपरान्त इस स्थान से यह गंगा नाम से आगे प्रवाहित होती हैं, पौराणिक मान्यता के अनुसार रावण के वध के बाद ब्रहम हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम देवप्रयाग पहुँचे और यहीं पर तप कर ब्रहमहत्या के पाप से मुक्त हुए!उनके पूर्वज राजा भगीरथ,भागीरथी को देवप्रयाग तक लाये,जो अलकनंदा में विलीन होकर मोक्षदायिनी गंगा बनकर गंगासागर की ओर आगे बढ़ीं, देवप्रयाग में पितरों का आहवान करने और श्राद्ध तर्पण करने के लिए विशेष पूजा की जाती है, माना जाता है कि देवप्रयाग में पितरों का श्राद्ध करने से कई पीढ़ियां पाप मुक्त होती हैं,लेकिन आज ये मोक्षदायिनी अपने नामकरण स्थल देवप्रयाग में ही मैली हो रही है!विकास के नाम पर सरकार द्वारा बड़ी-बड़ी योजनायें बनायी जा रही हैं तो दूसरी तरफ गंगा की स्वच्छता और अविरलता पर करोड़ों रुपए खर्च भी किये जा रहे हैं,लेकिन गंगा के स्वच्छता का कहीं भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है,भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे अभियान पर भी यह घटनाक्रम बड़ा प्रश्न चिन्ह है !