गंगा उत्सव के अंतिम दिन केदारघाट में चलाया गया स्वच्छता कार्यक्रम

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उत्तरकाशी । हे गंगा तुम बहती हो क्यों, गीत की इन लाइनों में गंगा के दर्द को इंसान ने गीत के माध्यम से समाज में रखा है। गंगा उत्सव 2020 के आज अंतिम दिन गंगा विचार मंच उत्तराखंड के कार्यकर्ताओं ने माँ गंगा के मायके उत्तरकाशी में केदारघाट में स्वच्छता कार्यक्रम चलाया। इसी के साथ गंगा पर परिचर्चा के लिए गंगा चैपाल का आयोजन किया गया।
गढ़वाली में एक कहावत है कि सच्ची होली मेरी गंगा माई, त चाँदी घाट आली, टिहरी रियासत से जुड़ी इस कहानी को राष्ट्रीय स्तर पर गंगा की कहानी में सम्मिलित किया गया है। बताते हैं कि एक समय महाकुंभ के दौरान देश के बड़े बड़े राजाओं ने अपने अपने पांडाल माँ गंगा के किनारे लगाए, लेकिन टिेहरी के राजा को जगह नहीं दी गई। तब टिहरी के राजा ने हरिद्वार में चांदी घाट पर अपना डेरा डाला जहां गंगा का बहाव नही था। राजा ने माँ गंगा से प्रार्थना की कि वह चांदी घाट आ जाये। मां गंगा ने उनकी प्रार्थना जॉनी और समूची गंगा सुबह को चांदी घाट से बह रही थी। इस कहानी को इस बार गंगा उत्सव 2020 में मुख्य स्थान मिला।
देशभर में 2 नवम्बर से 4 नवम्बर तक गंगा उत्सव हर्सोल्लास के साथ मनाया गया। इस उत्सव में स्वच्छता कार्यक्रम के साथ गंगा चैपाल में गंगा की महत्ता व अविरलता पर चर्चा हुई। इस अवसर पर गंगा विचार मंच उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक लोकेन्द्र सिंह बिष्ट में कहा कि माँ गंगा को 4 नवम्बर को ही राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था। इसी उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने इस दिवस को गंगा उत्सव 2020 के रूप में मनाया गया। कहा कि भारत में 40 करोड़ लोगों की आजीविका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गंगा से जुड़ी है। गंगा विचार मंच के जिला संयोजक जयप्रकाश भट्ट, गंगोत्री के संयोजक अशोक सेमवाल ने कहा कि गंगा के मायके में सभी उत्सव व त्यौहार गंगा माँ को समर्पित हैं। बीजेपी के जिला अध्यक्ष रमेश चैहान ने कहा कि गंगा विचार मंच उत्तराखंड का गंगा स्वच्छता कार्यक्रम सराहनीय हैं। कार्यक्रम में आज बड़ी संख्या में गंगा विचार मंच के कार्यकर्ता व बीजेपी के पदाधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने गंगा स्वच्छता कार्यक्रम व गंगा चैपाल कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

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