पौड़ी की शिवानी साहसिक पर्यटन की रानी!..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
मूलतः पौड़ी जनपद की शिवानी गुसाईं ने महज़ 13 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने हैरतंगेज कारनामे से देश ही नहीं अपितु दुनिया को भी अचंभित कर दिया था,आज वो देश के युवाओं के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स की आइकॉन है,जिद और जज्बा ऐसा की उसने पहाड़ के हर कोने की ख़ाक छान दी है,हौंसले इतने बुलंद की आपदा के बाद सुरक्षित केदारनाथ यात्रा का सन्देश देने के लिये विपरीत परिस्थितियों में भी वो केदार धाम जा पहुंची,अपनी माटी से इतना प्यार की पहाड़ों का भ्रमण करके वे लोगों को पहाड़ आनें का न्योता देती रहती हैं,शिवानी का जन्म 8 अप्रैल 1988 को पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के कदोला गाँव में हुआ था,उनकी माँ वरिष्ठ समाजसेवी विजयलक्ष्मी गुसाईं और पिता सुरेंद्र सिंह गुसाईं हैं,जन्म से ही जोख़िम उठाने की शौकीन शिवानी ने अपनी अलग ही राह चुनी,12 वीं के बाद आईटी से पोलिटेक्निक किया,फिर बीकॉम,एमकॉम के बाद एमबीए की उच्च शिक्षा ग्रहण की,8 जनवरी 2001 को महज 13 बरस की छोटी सी उम्र में वे विश्व की सबसे कम आयु की पैराग्लाइडर बनना शिवानी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है,पौडी से 10 किमी दूर कंडारा हिल में उड़ान भरकर शिवानी नें सबसे कम उम्र में ये इतिहास रखकर पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया था! शिवानी की यह उपलब्धि “लिम्का बुक ऑफ रिकॉड” में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है,शिवानी के नाम दूसरा रिकार्ड “प्रथम नेशनल उत्कृष्ट बाल पुरुष्कार” है ,जो 2004 में विज्ञान भवन में उन्हें दिया गया,शिवानी ने “”माई एडवेंचर क्लब””यानी की (मैक )की स्थापना भी की है, मैक आज अलग अलग जिलों में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय युवाओं को तकनीकी शिक्षा देने का कार्य करता है,जिससे स्थानीय युवा आत्मनिर्भर बने एवं स्वरोजगार के लिये प्रेरित हों,जिससे अब तक 3 हजार से भी अधिक युवा जुड़ चुकें हैं,मैक के जरिये शिवानी युवाओं को एडवेंचर टूरिज्म और लोकसंस्कृति के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुये रोज़गार उपलब्ध कराने और उत्तराखण्ड की धरोहरों को लुप्त होने से बचाने व उनका प्रचार- प्रसार करने का भी कार्य कर रहीं हैं,साथ ही साथ शिवानी, लगातार लोगों को वापस अपने पहाड़ की और लौटने”रिवर्स माइग्रेशन”की वकालत भी कर रहीं हैं, मैक के बैनर तले शिवानी ने केदारनाथ आपदा के बाद लोगों के मन में बैठे डर को दूर करने के लिए नवम्बर 2014 में “हिटो केदार” ट्रेकिंग कैम्पिंग शिविर के जरिये 38 युवाओं की टीम के साथ पूरी केदारपुरी का भ्रमण और अध्ययन भी किया और तत्कालीन मुख्यमन्त्री हरीश रावत को एक रिपोर्ट सौंपी, जबकि 2015 में एक बार फिर 25 सदस्यों के दल के साथ “हिटो केदार”के जरिये सुरक्षित केदारनाथ यात्रा का सन्देश देश और दुनिया को दिया। शिवानी को उसके कार्यों के लिए समय समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा है।2004 में शिवानी को विज्ञान भवन दिल्ली में बाल उत्कृष्ट अवार्ड “एडवेंचर और पैराग्लाइडिंग”मिला, जबकि 2004 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री उत्तराखण्ड नारायणदत तिवारी ने पैराग्लाइडिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें 15 अगस्त 2004 को सम्मानित किया,उन्हें 2008 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री भुवनचंद्र खंडूरी और 2010 में महामहिम राज्यपाल मार्गेट अल्वा द्वारा भी राजभवन देहरादून में सम्मानित किया जा चूका है,2014 में शिवानी को राज्यस्तरीय “तीलू रैतोली” पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है,वहीं शिवानी को 2016 में तत्कालीन “उत्तराखंड की बेटियां” सम्मान से भी नवाजा गया है। इसके अलावा उन्हें 2015 में “यूथ आइकॉन” सम्मान और 2016 में प्रथम उत्तराखण्ड उदय सम्मान में उल्लेखनीय कार्य हेतु “पीपुल्स चॉइस अवार्ड”सहित दर्जनों अन्य सम्मान भी मिल चुके हैं। शिवानी को “उत्तराखंड ईयर बुक”में भी स्थान मिला है। जबकि शिवानी वर्तमान में उत्तराखण्ड “कयाकिंग -केनोइंग एशोसिएशन”की कोषाध्यक्षा भी हैं और पौड़ी के सतपुली-खैरासैंड क्षेत्र में राफ्टिंग-कयाकिंग -केनोइंग -हैंग ग्लाइडिंग समेत कई अन्य इलाकों में साहसिक पर्यटन विकसित करने की राज्य सरकार और पर्यटन विभाग की कार्ययोजना पर भी कार्य कर रही हैं।