लंबी जद्दोजहद के बाद पूर्व निर्धारित स्थान पर ही सिंगटाली पुल बनने के आदेश जारी…
भाष्कर द्विवेदी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को जोड़ने वाले ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित सिंगटाली मोटर पुल के निर्माण को लेकर आम जनमानस और क्षेत्र के जागरूक लोगों की लम्बी लड़ाई के बाद सिंगटाली मोटर पुल अब अपने मूल स्थान पर ही बनेगा! जिसके आदेश जारी कर दिए गए हैं,आपको बताते चलें कि कौडियाला-व्यासघाट मोटरमार्ग को ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग से जोड़ने को सिंगटाली में 200 मीटर लम्बे मोटर पुल बनाने की तैयारी हो चुकी थी,लेकिन एक एनजीओ के आवेदन पर त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में व्यापक जनहित को नजरअंदाज करते हुये दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था!
जिससे स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त रोष था,इस मुद्दे पर जब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से स्थानीय लोगों ने मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि एनजीओ की ओर से सिंगटाली में करीब 400 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है,इसलिए राज्य हित को देखते हुए पुल को दूसरी जगह शिफ्ट करना उचित था! लेकिन स्थानीय जनता को ये स्वीकार्य नहीं हुआ और उन्होंने अपने स्तर से इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ने का फैसला किया और अब उन्हें जीत हासिल हुयी है!इस पुल के बनने से गढ़वाल और कुमाऊँ की दूरी भी कम होगी और साथ ही सतपुली से देहरादून की अनुमानित 25-30 किमी दूरी कम हो जायेगी!जनपद टिहरी के कौड़ियाला और जनपद पौड़ी के यमकेश्वर को जोड़ने वाले सिंगटाली झूला पुल का अपने आप में बड़ा महत्व है,यहां पर मोटर पुल के निर्माण की माँग वर्षों से उठती रही है,ढांगू विकास समिति ने इसके लिए कई बार आवाज उठाई, 30 अगस्त 2016 को 21 किलोमीटर लम्बे मोटर मार्ग और मोटर पुल के लिए शासन ने 1579.80 लाख रुपया वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी,आखिरकार 15 वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद ही सही अपने मूल स्थान पर बनने वाले इस पुल के आदेश जारी करने हेतु मुख्यमन्त्री उत्तराखण्ड सरकार तीरथ सिंह रावत का क्षेत्रीय जनता और पुल निर्माण हेतु प्रयासरत स्थानीय जनता और ढांगू विकास समिति द्वारा आभार प्रकट किया गया है,ढांगू विकास समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी, प्रशांत मैठाणी, वेद प्रकाश मैठाणी आदि ने मुख्यमन्त्री तीरथ सिंह रावत के अलावा कृषि मन्त्री सुबोध उनियाल का भी आभार जताते हुए कहा कि कौड़ियाला-व्यासघाट मोटरमार्ग के निर्माण से जनपद पौड़ी के आठ ब्लॉक की जनता लाभान्वित होगी साथ ही गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल के बीच की दूरी भी कम होगी।