लॉकडाउन का सदुपयोग कर लैंसडाउन विधानसभा के मठाली गाँव के ग्रामीणों ने ख़ुद ही जनशक्ति मार्ग बना सत्तानशीनों को दिखाया आईना!
जागो ब्यूरो विशेष :
कोरोना महामारी के दौरान घोषित लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुये पौड़ी जनपद की लैंसडाउन विधानसभा के अन्तर्गत जयहरीखाल ब्लॉक के मठाली गाँव के लोगों ने इतिहास रच डाला है,इस गाँव के लिये सम्पर्क मार्ग जो कि सन् 2008 में स्वीकृत हुआ था,के निर्माण हेतु कई बार सर्वे हुये,लेकिन ग्रामीणों के लगातार प्रयासों के बाद आख़िरकार लगभग तीन साल पहले सड़क निर्माण का शुभारम्भ तो हुआ,लेकिन मार्ग का मात्र पाँच सौ मीटर हिस्सा ही बन पाया!अधूरी सड़क को पूरा करने के लिए गाँव वालों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार सम्पर्क किया और लगातार विभागों से भी पत्राचार किया, लेकिन सडक का निर्माण एक इंच भी आगे न बढ़ सका,कहते हैं कि “भगवान भी उसी की मदद करता है,जो स्वयं अपनी मदद करता है” इसी को आधार मानकर,जनप्रतिनिधियों के रूखे व्यवहार से दुखी ग्रामीणों ने ठाना कि वे इस सड़क को बनाने की जिम्मेदारी ख़ुद के कंधो पर ही उठाएंगे,जँहा बड़े शहरों में कमरे में कैद लोग इस कोरोना काल में काफी विवश नजर आये हैं,वहीं ग्रामीणों,जिसमें बाहर से गाँव लौटे प्रवासी भी शामिल थे,ने इस आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया!फिर क्या था,युवा शक्ति को एकमत करते हुए श्रमदान के लिए प्रेरित किया गया और गाँव लौटे प्रवासियों और बाहर नौकरी या कारोबार कर रहे गाँव के प्रवासी लोगों को जिम्मेदारी दी गयी कि सडक कटिंग पर आने वाले जेसीबी मशीन के खर्च को वह सामूहिक रूप से वहन करेंगे। देखते ही देखते सभी ग्रामीण और प्रवासी इस कार्य के लिए आगे आने लगे और श्रमदान शुरु कर दिया गया। श्रमदान शुरु होने के ठीक तीन दिन बाद पन्द्रह जून सोमवार की शाम जेसीबी मशीन भी गाँव वालों का साथ देने के लिए पहुँच गयी और मंगलवार से जेसीबी ने कार्य करना भी प्रारम्भ कर दिया,मौजूदा जुलाई माह की शुरुआत में ही ग्रामीणों ने अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर गाँव को सड़क मार्ग से जोड़ दिया है,ग्रामीणों की एकता के कारण दशकों पुराने ख्वाब ने हकीकत का रूप ले लिया है और गाँव में सड़क पहुँचने के साथ ही कई सपनों और रोजगार के नये अवसरों की उम्मीदों को भी पंख लग गये हैं। “जन शक्ति मार्ग मठाली” की इस सफलता में शामिल हर बच्चे से लेकर ,बुजुर्ग और मातृशक्ति को “जागो उत्तराखण्ड” नमन करता है, जिन्होंने इसमें अपना योगदान दिया चाहे ,चाहे वह तन से हो,मन से हो या धन से!ऐसा करके ग्रामीणों ने निश्चित रूप से सोये हुए सिस्टम और जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाने का काम भी किया है,जो कि जनता को सिर्फ एक वोट तक ही सीमित मानते हैं और जीतने के बाद उनकी छोटी-मोटी जायज मांगों को भी अनसुना कर देते हैं।