सिनेमा ही मेरी जिंदगी है, मैं मरते दम तक जवान रहूंगा ( सदाबहार और एवरग्रीन फिल्म अभिनेता देव आनंद के आज 96 वें जन्मदिवस पर विशेष )

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सिनेमा ही मेरी जिंदगी है, मैं मरते दम तक जवान रहूंगा

( सदाबहार और एवरग्रीन फिल्म अभिनेता देव आनंद के आज 96 वें जन्मदिवस पर विशेष )

–शंभूनाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार–

उनकी निजी जिंदगी हो या फिल्मी ताउम्र जवान रही | उनका अंदाज, अदाएं, जोश और स्टाइल हमेशा जवान ही दिखाई दीं | जी हां हम बात कर रहे हैं सदाबहार और एवरग्रीन सिनेमाई जादूगर देव आनंद की | आज देव साहब का 96 वां जन्मदिवस है | 26 सितंबर 1923 को जन्में देव आनंद को आज देशभर में सिनेमा प्रेमी और उनके प्रशंसक अलग-अलग प्रकार से याद कर रहे हैं | जब-जब देवानंद फिल्मी पर्दे पर आते, दर्शकों में ( खासतौर पर लड़कियों में ) एक अलग रोमांच पैदा कर देता था | उनका पहनावा, चलने का अंदाज, हेयर स्टाइल और उनके बोलने का तरीका सिनेमा प्रेमियों में अनूठा छाप छोड़ता गया | 60 के दशक में उनकी दीवानगी पूरे देश में इतनी अधिक बढ़ गई कि सरकार को उनके काले कपड़े पहनने पर बैन ही लगाना पड़ा था | देव आनंद ने हमेशा अपने आपको जवान रखा तभी सदाबहार या एवरग्रीन जैसे उनके नाम के साथ ही जुड़ गया था | एक बार देव साहब ने कहा था, ‘मैं सिनेमा में सोता हूं, सिनेमा में जागता हूं और सिनेमा ही मेरी जिंदगी है | मैं मरते दम तक सिनेमा की वजह से ही जवान रहूंगा | ‘ वे इसे साबित भी कर गए | 1973 में “हरे रामा हरे कृष्णा” में देवानंद ने जीनत अमान को डेब्यू कराया था, उनके साथ हीरो भी थे | ऐसे ही 1980 में फिल्म “मनपसंद” में टीना मुनीम के साथ हीरो थे | टीना को भी देवानंद ने ही डेब्यू कराया था | कभी भी उन्होंने अपनी उम्र को आड़े नहीं आने दिया | बॉलीवुड के पहले रोमांटिक हीरो देव आनंद एक ऐसे कलाकार थे जो अपने रोमानी अंदाज के चलते लड़कियों के दिलों में बसते थे | देव आनंद जितना अपनी दिलकश अदाओं के लिए हसीनाओं के चहेते थे उतना ही अपने रोमांस को लेकर भी वो सुर्खियों में रहते थे | लेकिन देव आनंद का पहला प्यार अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका | देवानंद को दुनिया ने कभी दुखी नहीं देखा | उनका कहना था जो हो गया सो हो गया, हमेशा आगे की सोचते रहो | उनके दिलो-दिमाग में केवल काम का ही जुनून सवार रहता था | वे मरते दम तक सिनेमा के लिए ही काम करते रहे | देवआनंद ने 3 दिसंबर 2011 को 88 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया | आज वह हमारे बीच भले ही नहीं है पर फिल्म इंडस्ट्रीज उनके योगदान को कभी भुला नहीं पाएंगे | उनके स्टारडम की कहानी भले ही ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में शुरू हुई लेकिन उनकी ज़िंदगी में रंगों की कमी कभी नहीं रही…

अधूरी रही प्रेम कहानी, सुरैया से नहीं हो सकी शादी—

देव आनंद के अधूरे इश्क की कहानी भी उनकी तरह ही खूबसूरत है | देव आनंद का पहला प्यार सुरैया थीं | फिल्म ‘विद्या’ की शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थीं और देव आनंद ने अपनी जान पर खेल कर उन्हें बचाया था और यहीं से इस प्रेम कहानी की शुरुआत हुई | बाद में फिल्म ‘जीत’ के सेट पर देव आनंद ने सुरैया को 3000 रुपये की हीरे की अंगूठी के साथ प्रपोज भी किया था | लेकिन सुरैया की नानी, जिन्हें को ये रिश्ता कतई मंजूर नहीं था, वजह थी दोनों के धर्म | देव आनंद हिंदू थे और सुरैया मुस्लिम |सुरैया की नानी और घरवालों की नामंजूरी की वजह से सुरैया ने देव आनंद से शादी के लिए मना कर दिया | दोनों को अलग होना पड़ा | इसके बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की और देव की यादों में ही खोई रहीं और दोनों का प्यार परवान चढ़ने से पहले ही दोनों की मोहब्बत अधूरी रह गई |

देवानंद की कुछ सफल फिल्में–

जिद्दी 1948, बाजी 1951, टैक्सी ड्राइवर 1954, नौ दो ग्यारह 1957, पेइंग गेस्ट, कालापानी 1958, हम दोनों 1961, तेरे घर के सामने 1963 और जॉनी मेरा नाम 1970, इन सुपर हिट फिल्मों ने देव आनंद को फिल्म इंडस्ट्रीज का सुपरस्टार बना दिया |

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