छः साल से पौड़ी के एकेश्वर ब्लॉक के चमडल गाँव में “मनरेगा” से नहीं हो रहा कोई काम!बेरोजगारों को लाखों की मजदूरी का नुक़सान..
जागो ब्यूरो विशेष:
पौड़ी जनपद के एकेश्वर ब्लॉक के चमडल गाँव में पिछले छः साल से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) या किसी अन्य विकास योजना से कोई काम नहीं हो रहा है,यह आरोप लगाते हुये ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान अपनी हठधर्मिता की वजह से इस गाँव में कोई भी मनरेगा का काम ही स्वीकृत नहीं करवा रहा है,जबकि इस ग्राम सभा गोर्ली का प्रधान भी इसी गाँव से है,ग्राम सभा के दूसरे गाँवों में तो काफी काम हो रहा है,लेकिन प्रधान को अपने गाँव से क्या बैर है,समझ से परे है?इस बार यन्हा से पूर्व प्रधान की भाभी प्रधान है,लेकिन छठवें साल में भी अभी तक प्रधान की नजरें अपने ख़ुद के गाँव पर करम नहीं हुयी हैं,जबकि कोविड संकट के इस साल में तो ग्रामीणों को रोज़गार की बेहद जरूरत थी!दिल्ली से कोविड-19 आपदा के दौरान अपने गाँव लौटे पर्यटन व्यवसायी दीपक ध्यानी बताते हैं,कि गाँव में यह हालात देखकर वह भी हैरान रह गये! इस गाँव में काफी बेरोजगारी है और ऐसे में पिछले पाँच साल में गाँव में मनरेगा से न के बराबर काम होने से ग्रामीणों को अब तक करीब लाखों की मजदूरी का भी नुकसान हो चुका है,गाँव के रास्तों में झाड़ियां उग आई हैं और रास्ते टूटे हुए हैं ऐसा क्यों हुआ है?इस बारे में ग्राम प्रधान से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि चमडल गाँव के ग्रामीण काम ही नहीं करना चाहते,ऐसे में मनरेगा से ग्रामीणों को भुगतान होना संभव नहीं है,दीपक ध्यानी ने ग्रामीणों के साथ एकेश्वर ब्लॉक के खण्ड विकास अधिकारी से भी इस सम्वन्ध में संपर्क किया,जिसके बाद खण्ड विकास अधिकारी ने गाँव के रास्ते के लिए योजना स्वीकृत करने की बात कही, लेकिन एक बार फिर ग्राम प्रधान की हठधर्मिता की वजह से काम का प्रस्ताव ही नहीं बन पाया!आजकल चमडल गाँव के ग्रामीण स्वयं ही अपने रास्ते का निर्माण और आसपास उग आयी बेहिसाब झाड़ियों के कटान का काम कर रहे हैं,लेकिन हैरानी है कि जिस योजना का लाभ पूरे देश के गाँवों के बेरोजगारों को मिलता है,चमडल गाँव के ग्रामीण उससे कैसे वंचित रह गये?निःसंदेह यह हैरानी भरा प्रकरण जांच का विषय तो है ही।